कृषि कर्ज बढ़ा, लेकिन घट रही हिस्सेदारी, नहीं पूरा हो रहा लक्ष्य…ये है सहकारी बैंकों का हाल

जानिए सहकारी बैंकों से किस राज्य को मिलता है सबसे ज्यादा कृषि कर्ज का लाभ, क्या सरकार की इस पहल से नेताओं के चंगुल से मुक्त हो पाएंगे ये बैंक?

कृषि कर्ज में कितना है सहकारी बैंकों का योगदान?

केंद्र में पहली बार सहकारिता मंत्रालय (Ministry of Co-operation) के गठन के बाद देश में इस क्षेत्र के योगदान की उम्मीदें बढ़ गई हैं. क्योंकि यह मंत्रालय अमित शाह के पास है, जिनका सहकारी क्षेत्र में अच्छा अनुभव है. जब भी इस क्षेत्र की बात होगी तो सहकारी बैंकों का जिक्र सबसे पहले होगा, जिसके जरिए कृषि क्षेत्र में भी अच्छा विकास हो सकता है. पिछले कुछ समय से कृषि कर्ज (Farm Loan) के मामले में सहकारी बैंकों का योगदान बढ़ रहा है. लेकिन, ये बैंक कभी लक्ष्य को पूरा नहीं कर पा रहे. यही नहीं कुल एग्री लोन में इनके योगदान का प्रतिशत घट रहा है. क्योंकि निजी और सरकारी बैंकों द्वारा कृषि कर्ज देने की रफ्तार कहीं अधिक है.

केंद्रीय वित्त मंत्रालय के मुताबिक सहकारी बैंकों ने 2017-18 में 1,50,321 करोड़ रुपये का कृषि कर्ज दिया था. जो 2019-20 में 1,57,367 करोड़ हो गया है. हालांकि, कुछ ही राज्य इन बैंकों का अच्छा फायदा उठा रहे हैं. बड़ा सूबा होने के बावजूद इन बैंकों से उत्तर प्रदेश के कृषकों को खेती के लिए बहुत कम लोन मिल रहा है. सियासी पहुंच वाले लोग ही इसका फायदा उठा रहे हैं.

फिलहाल, नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (NABARD) ने सहकारी बैंकों के समक्ष आ रही जिन तीन प्रमुख समस्याओं को रेखांकित किया है उनमें इन बैंकों की आर्थिक स्थिति और टेक्नॉलोजी अपनाने में धीमी गति शामिल है. इसलिए अब सरकार ने कोऑपरेटिव बैंकों (Co-operative banks) में सुधार की कोशिश शुरू कर दी है. ये बैंक आमतौर पर छोटे लोन बांटते हैं.

सुधार के लिए नेताओं का कब्जा खत्म होना जरूरी

बैंकिंग सेक्टर के एक्सपर्ट मुकेश कुमार जोशी कहते हैं, “जिस दिन सहकारी बैंक नेताओं के चंगुल से मुक्त हो जाएंगे उस दिन इनकी स्थिति सुधर जाएगी. इसके जरिए कृषि क्षेत्र काफी तरक्की कर सकता है. लेकिन स्थानीय कर्मचारी नियुक्त होने बंद हों तब. क्योंकि वो सिर्फ अपने चहेतों को लोन देते हैं. आम किसान तो इससे वंचित रह जाता है.”

सहकारी बैंकों से सबसे ज्यादा कृषि कर्ज देने वाले राज्य

राज्यकरोड़ रुपये
तमिलनाडु16,181
गुजरात14,689
कर्नाटक13,842
ओडिशा13,274
आंध्र प्रदेश11,858
पंजाब10,768
मध्य प्रदेश11,561
हरियाणा11,284
महाराष्ट्र11,272
राजस्थान9,803
उत्तर प्रदेश6,201
तेलंगाना5,748
पश्चिम बंगाल5,070
छत्तीसगढ़4,431
केरल4,239
#2019-20, Source: Ministry of Finance

आरबीआई की पहल

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने सहकारी बैंकों में सीईओ और पूर्णकालिक निदेशक बनने के लिए न्यूनतम योग्यता और उम्र तय कर दी है.

-अब सीईओ की न्यूनतम उम्र 35 साल से कम और 70 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए.
-कोई भी व्यक्ति बैंक के एमडी और पूर्णकालिक निदेशक के पद पर 15 साल से अधिक वक्त तक नहीं रहेगा.
-अब सहकारी बैंकों में एमडी व पूर्णकालिक निदेशक बनने के लिए ग्रेजुएट होना अनिवार्य है.
-सीए, कॉस्ट अकाउंटेंट, एमबीए, बैंकिंग या कॉ-ऑपरेटिव बिजनेस मैनेजमेंट में डिप्लोमा या डिग्री.
-सहकारी बैंकों में शीर्ष पद उन्हीं लोगों को दिए जाएंगे, जिनके पास बैंकिंग सेक्टर का अनुभव हो.
-मध्यम या वरिष्ठ स्तर पर प्रबंधन का कम से कम 8 साल का अनुभव चाहिए.

अब आरबीआई की निगरानी में आ गए हैं सहकारी बैंक

सहकारी बैंक भ्रष्टाचार के अड्डे हैं. पंजाब एंड महाराष्ट्र कॉ-ऑपरेटिव बैंक (PMC Bank) मामले के बाद आरबीआई ने इन बैंकों में सुधार की शुरुआत जून 2020 में ही कर दी थी. इस बैंक के सीईओ ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर फंड को रियल एस्टेट डेवलेपर्स को डाइवर्ट कर दिया था, जिसका खामियाजा बैंक के हजारों ग्राहकों को उठाना पड़ा. पीएमसी बैंक की सात राज्यों में 137 शाखाएं हैं.

इस घोटाले के बाद केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश लाकर 1482 शहरी सहकारी बैंकों और 58 मल्टी स्टेट सहकारी बैंकों को आरबीआई की निगरानी में रखने का फैसला किया. इस बदलाव से पहले सहकारी बैंकों की निगरानी का जिम्मा आरबीआई की कोऑपरेटिव बैंक सुपरवाइजरी टीम का होता था. लेकिन सामान्य तौर पर यह सेक्शन कम सक्रिय रहता है. लिहाजा गड़बड़ियां हो जाती थीं. आज भी यूपी के सहकारी बैंकों में अपना जमा पैसा निकालने में ग्राहकों को पसीने छूट रहे हैं.

कृषि क्षेत्र को टारगेट से कम लोन (करोड़ रुपये)

वित्त वर्षलक्ष्यवितरणकुल कृषि कर्जहिस्सेदारी %
2017-181,56,0001,50,32111,62,61712.93
2018-191,65,0001,52,34012,56,83012.12
2019-202,02,4991,57,36713,92,72911.30
Source: Ministry of Finance

सहकारी बैंकों की सबसे अधिक शाखा कहां?

तमिलनाडु, गुजरात, कर्नाटक, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश, हरियाणा और महाराष्ट्र उन सूबों में शामिल हैं जो सहकारी बैंकों से सबसे ज्यादा लोन लेते हैं. भारत में सहकारी बैंकों को तीन श्रेणी में बांटा गया है. पहला शहरी सहकारी बैंक (UCB), दूसरा ग्रामीण सहकारी बैंक या राज्य सहकारी बैंक (STCB) एवं तीसरा जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक.

देश में 1544 यूसीबी हैं. जिनमें सबसे अधिक 496 महाराष्ट्र में हैं. दूसरे नंबर पर कर्नाटक है जहां 263 बैंक हैं. जबकि 219 के साथ गुजरात तीसरे नंबर पर है. तमिलनाडु में 129 बैंक हैं. राज्य सहकारी बैंक 34 एवं 352 जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक हैं.

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Author: CG FIRST NEWS

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