स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ भारती प्रवीण पवार ने एक लिखित जवाब में कहा कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है जिसके अनुसार सभी राज्य, केंद्र शासित प्रदेश केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को नियमित आधार पर मामलों और मौतों की रिपोर्ट करते हैं.
सरकारी सूत्रों की माने तो केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर COVID-19 के सेकेंड वेब के दौरान ऑक्सीजन की कमी से होने वाले मौतों का डेटा मांगा है. मिली जानकारी के अनुसार यह आंकड़े संसद के चल रहे मानसून सत्र में पेश किए जाने की संभावना है. सूत्रों ने एएनआई को बताया कि केंद्र ने राज्यों को ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों के आंकड़ो के बारे में बताने को कहा है. केंद्र ने कहा कि 13 अगस्त को मानसून सत्र समाप्त होने से पहले यह डेटा संसद में पेश किया जा सकता है.
मालूम हो कि संसद सत्र की शुरूआत में केंद्र सरकार (Center Government) ने राज्यसभा में एक कहा था कि देश में ऑक्सीजन के कारण एक भी मौत नहीं हुई है. केंद्र के इस बयान के बाद विपक्षों द्वारा विरोध किया गया था. वहीं विपक्षी दलों द्वारा किए विरोध के बीच स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ भारती प्रवीण पवार ने एक लिखित जवाब में कहा कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है जिसके अनुसार सभी राज्य, केंद्र शासित प्रदेश केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को नियमित आधार पर मामलों और मौतों की रिपोर्ट करते हैं.
मई में 4 लाख से ज्यादा मामले और 4,000 मौतें दर्ज
सरकार का जवाब कोरोना की दूसरी लहर के बाद आया है जिसने देश के स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को प्रभावित किया और जिसके परिणामस्वरूप प्रतिदिन हजारों मौतें हुईं. देश में COVID-19 के मामले अप्रैल से जून तक खतरनाक रूप से बढ़े और मई में 4 लाख से ज्यादा मामलों और 4,000 मौतों के साथ चरम पर पहुंच गए.
ऑक्सीजन की कमी के कारण कई मरीजों की मौत
दूसरी लहर के दौरान देश भर के अस्पतालों ने कई दिनों तक गंभीर ऑक्सीजन की कमी की सूचना दी थी और राष्ट्रीय राजधानी के निजी अस्पतालों ने लगातार ऑक्सीजन सप्लाई की मांग करते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया गया था. इस दौरान अलग अलग राज्यों के कई अस्पताल प्रशासन ने आरोप लगाया है कि ऑक्सीजन की कमी के कारण कई मरीजों की मौत हुई है.
Author: CG FIRST NEWS
CG FIRST NEWS