खुद ‘जूतम-पैजार’ की बात करने वाले उद्धव ठाकरे, किस मुंह से नारायण राणे को सजा देंगे?

नारायण राणे के बयान से तिलमिलाए उद्धव ठाकरे खुद के बयान को कैसे सही ठहराएंगे?

नारायण राणे और उद्धव ठाकरे का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. राणे के जेल में जाने के बाद अब बीजेपी ने भी उद्धव ठाकरे का एक वीडियो जारी किया है जिसमें वह यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बारे में अपशब्द कहते हुए नजर आ रहे हैं. उनके खिलाफ FIR भी दर्ज हो गई है.

नारायण राणे और उद्धव ठाकरे का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. राणे के जेल में जाने के बाद अब बीजेपी ने भी उद्धव ठाकरे का एक वीडियो जारी किया है जिसमें वह यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बारे में अपशब्द कहते हुए नजर आ रहे हैं. उनके खिलाफ FIR भी दर्ज हो गई है.

पूरे महाराष्ट्र की बात करें तो 16.41 प्रतिशत मतदाताओं का ही शिवसेना को समर्थन मिला था. बीजेपी 164 पर चुनाव लड़ी और 105 सीटों पर उसके विधायक चुने गए थे. लेकिन उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनने की जिद थी. बीजेपी नहीं मानी. क्योंकि बीजेपी-शिवसेना गठबंधन का नियम यही था कि जिसके ज्यादा विधायक होंगे उसी दल का मुख्यमंत्री बनेगा.

उद्धव ठाकरे ने उनका समर्थन लिया जिनके खिलाफ शिवसेना बनी थी

ठाकरे ने पिता बलासाहेब ठाकरे के उसूलों को दरकिनार करते हुए उन्हीं दलों का समर्थन लिया जिसके खिलाफ बालासाहेब ने शिवसेना का गठन किया था – कांग्रेस पार्टी और एनसीपी. अभी तक उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र के किसी भी कोने से समर्थन नहीं मिला है. उनका मुख्यमंत्री पद भी तभी बचा जब वह मोदी के सामने आ कर गिड़गिड़ाए. कोरोना महामारी के बीच में सिर्फ ठाकरे की कुर्सी बचाने के लिए विधान परिषद् का चुनाव कराया गया. बीजेपी और मोदी की वजह से ही आज ठाकरे मुख्यमंत्री हैं, ना कि महाराष्ट्र की जनता के समर्थन के कारण.

क्या मोदी को भला-बुरा कहने वाले जेल गए?

शिवसेना के नेता और कार्यकर्ता आए दिन खुलेआम मोदी को गाली देते नज़र आते हैं. कांग्रेस या कांग्रेस समर्थित नेता और कार्यकर्ता चाहे वह नागरिकता कानून हो या कृषि कानून, खुलेआम मोदी को गाली देते हैं. मोदी का पुतला भी जलाया जाता है. पर कितने लोग मोदी को गाली देने या मोदी का पुतला जलाने के कारण अभी तक गिरफ़्तार हुए हैं? पर जिस व्यक्ति को जनता ने चुना ही नहीं, जिसकी पार्टी को महाराष्ट्र की 83.56 फीसदी जनता ने वोट ही नहीं दिया, वह व्यक्ति पिछले 21 महीनों से तानाशाह की तरह शासन कर रहा है.

माना कि राणे ने गलत भाषा का इस्तेमाल किया. पर किस सन्दर्भ में उन्होंने कान के नीचे खींच कर चपत लगाने की बात की थी, गलत नहीं था. भारत के एक प्रमुख राज्य के मुख्यमंत्री को यही नहीं पता था कि देश को स्वतंत्रता प्राप्ति के कितने साल हो गए. पता भी कैसे हो जब शिवसेना के लिए जय महाराष्ट्र जय हिन्द से बड़ा नारा हो.

उद्धव ठाकरे पर क्या कार्रवाई होगी?

नेताओं की जुबान अक्सर फिसलती ही रहती है. बहुत कम ही ऐसे नेता हैं जो सोच समझ कर मीडिया के सवालों का जवाब देते हैं. बीजेपी ने कल उद्धव ठाकरे का एक दो साल पुराना वीडियो जारी किया जिसमें वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जूते से मारने की बात कहते दिख रहे हैं. बीजेपी ने ठाकरे के खिलाफ पुलिस में प्राथमिकी (FIR) दर्ज करायी है. राणे ने बॉम्बे हाई कोर्ट में एक याचिका दर्ज की है और जब अगले महीने इस पर सुनवाई शुरू होगी तो फिर शायद कोर्ट ही फैसला करेगा कि कान के नीचे जोर का तमाचा मरना या जूते से एक अन्य राज्य के मुख्यमंत्री को मारना, इसमें से क्या ज्यादा बड़ा जुर्म है.

बेहतर यही होगा कि उद्धव ठाकरे अपने आप को शिवाजी महाराज के बाद सबसे बड़े मराठा नेता साबित करने की जल्दबाजी करने और एक तानाशाह की तरह व्यवहार करने की जगह जनता का प्यार जीतने की कोशिश करें. ठाकरे बड़े नेता तब ही बनेंगे जब उन्हें उनके काम के आधार पर जनता का समर्थन मिले. संविधान से ऊपर कोई नहीं हो सकता है, चाहे वह उद्धव ठाकरे ही क्यों ना हों. राणे को जेल भेज कर ठाकरे बड़े नेता नहीं बने हैं, बल्कि उन्होंने अपनी मुसीबत को आमंत्रण दिया है.

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Author: CG FIRST NEWS

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