जनरल मोटर्स और हार्ले डेविडसन के बाद अब फोर्ड मोटर्स भारत में नहीं बेचेगी कार, क्या होगा कर्मचारियों और ग्राहकों का? जानिए सभी सवालों के जवाब

देश से बाहर जाने का फैसला करने वाली फोर्ड तीसरी कंपनी है. इससे पहले जनरल मोटर्स और हार्ले डेविडसन भारत से बाहर जाने का फैसला किया था. दोनों कंपनियों ने यहां बढ़िया ग्रोथ की उम्मीद में अपना ऑपरेशन शुरू किया था लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली

भारत जैसे मार्केट में दाम और फीचर के बीच संतुलन बिठाने में फोर्ड इंडिया नाकाम रही है. फिगो ऑटोमैटिक अगले महीने लॉन्च हो सकती है लेकिन इस सेगमेंट में पहले से ही हुंडई i20, मारुति सुजुकी, बलेनो और फॉक्सवैगन पोलो मौजूद हैं. पिछले कुछ समय से फोर्ड इंडिया ने EcoSport और Endeavour जैसे अपने एसयूवी के अलावा कोई गाड़ी लॉन्च नहीं की है. फिगो ऑटोमेटिक भी काफी देर से लॉन्च हो रही है. सेकेंड जेनरेशन फिगो भी काफी लेट है. इसके अलावा इसमें कोई खास फीचर नहीं है और न ही पावरट्रेन लगी है. अब सवाल उठता है कि अगर कंपनी अपना प्लांट बंद करती है ग्राहकों का क्या होगा? आइए जानें कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब…

फोर्ड मोटर्स क्या सच में भारत में अपना प्लांट बंद कर रही है?

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की खबर के मुताबिक फोर्ड को भारत के बिजनेस में लगातार घाटा हो रहा है. इसीलिए कंपनी प्लांट बंद करने जा रही है. अब उसे यहां फायदा नहीं दे रहा है. लिहाजा उसने अपने यहां ऑपरेशन बंद करने का फैसला किया है. कंपनी एक साल में अपना बोरिया -बिस्तर यहां से समेट लेगी.

क्या कंपनी को भारत में घाटा हो रहा है?

रॉयटर्स के मुताबिक, कंपनी को भारत में 10 साल में करीब 200 करोड़ अमेरिकी डॉलर (15 हजार करोड़ रुपये) का घाटा हुआ है.

फोर्ड ने भारत में चेन्नई और साणंद विनिर्माण संयंत्रों में 200 करोड़ डॉलर से अधिक का निवेश किया था. 350 एकड़ के चेन्नई प्लांट में सालाना 2 लाख कार बनाने का प्लांट है. वहीं, 3.40 लाख इंजन हर साल बनते है.

460 एकड़ में फैले साणंद संयंत्र, जो दो में से सबसे छोटा है, की वाहन बनाने की क्षमता 240,000 यूनिट और 270,000 इंजन प्रति वर्ष है.

अब क्या होगा ग्राहकों का?

न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, फोर्ड मोटर्स आयात के जरिये अपनी कुछ कारें यहां बेचना जारी रखेगी. कंपनी के डीलर यहां मौजूद रहेंगे ताकि ग्राहकों को सर्विस दी जा सके.

कंपनी एक्सपोर्ट के लिए इंजन मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को भारत में बरकरार रख सकती है. सप्लाई चेन बरकार रहें इसके लिए एक छोटा नेटवर्क भी बनाए रखेगी.

कर्मचारियों का क्या होगा?

भारत में फोर्ड के करीब 4000 कर्मचारी है. इस फैसले से उन पर सीधा असर होगा. कंपनी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि चेन्नई और साणंद में कर्मचारियों, यूनियनों, आपूर्तिकर्ताओं, डीलरों, सरकार और अन्य हितधारकों के साथ कंपनी मिलकर काम करेगी. ताकि, इस फैसले से कम से कम लोगों पर असर हो.

20 साल पहले हुई थी फोर्ड की भारत में एंट्री

भारत में फोर्ड की एंट्री साल 1990 में हुई थी. लेकिन 20 साल में भी फोर्ड भारतीय मार्केट में अपनी पकड़ नहीं बना पाया. भारतीय ऑटो बाजार में 1.57 फीसदी मार्केट शेयर के साथ फोर्ड इस लिस्ट में 9वें नंबर है. वहीं, मारुति टॉप पर है. भारत में फोर्ड Figo, Aspire, Freestyle, EcoSport, Endeavour कार बेचता है. इनकी कीमत 7.75 लाख से 33.81 लाख रुपये के बीच है.

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Author: CG FIRST NEWS

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