बस्तर के इलाकों में सुबह धुंध छाई रहती है, जिससे राहगीरों परेशानी का सामना करना पड़ता है।
छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में पिछले 2-3 दिनों से कड़ाके की ठंड पड़ने लगी है। तापमान में भी भारी गिरावट आई है। मंगलवार को संभाग के दंतेवाड़ा में 5.2 तो वहीं कांकेर में 5.3 न्यूनतम तापमान रहा। जो पिछले साल के मुकाबले इस साल का सबसे न्यूनतम तापमान है। इधर, बीजापुर में भी 7.9 न्यूनतम और 27.2 अधिकतम तापमान रहा है। बस्तर में बढ़ती ठंड को देखते हुए अब मौसम वैज्ञानिकों ने भी किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है।
दरअसल, उत्तर-पूर्वी हवाओं के कारण तापमान में 3-4 डिग्री सेल्सियस की गिरावट के साथ ठिठुरन बढ़ गई है। दंतेवाड़ा के कृषि विज्ञान केंद्र में स्थापित ग्रामीण कृषि मौसम सेवा के पूर्वानुमान के अनुसार आने वाले कुछ दिनों तक इसी तरह ठिठुरन भरी ठंड दंतेवाड़ा समेत बस्तर में रहेगी। हालांकि 25 दिसंबर से हवा की गति बढ़ने और हवा की दिशा दक्षिण-पश्चिम से चलने से तापमान में थोड़ी बहुत बढ़ोतरी हो सकती है।
सुबह धुंध इतनी होती है कि वाहन चालकों को लाइट चालू कर चलना पड़ता है।
किसानों के लिए जारी की गई एडवाइजरी
दंतेवाड़ा के कृषि विज्ञान केंद्र के मौसम वैज्ञानिक अनिल कुमार ठाकुर ने कृषि से संबंधित मौसम की जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि, किसानों ने रबी की फसल और साग-सब्जी उगाई है। शीतलहर और पाले से नुकसान की संभावना बनी रहती है। पाले के नुकसान से बचाव के लिए फसलो में शाम के समय सिंचाई कर सकते हैं, जिससे खेत के आस-पास हवा का तापमान जमाव बिंदु से नीचे गिरने से बच सकता है। सिंचाई करने से मिट्टी में 2 डिग्री सेल्सियस तक तापमान बढ़ सकता है।
फसलों में शीतलहर और पाले से नुकसान की संभावना बनी रहती है।
इसके अलावा खेतों के आस-पास जब 5 डिग्री से कम का तापमान हो तो घास को जलाकर धुआ करें। छोटे क्षेत्र और छोटे पौधे (नर्सरी) को पॉलिथीन या पैरा से ढंक कर पाले से बचा सकते हैं। इसके अलावा दीर्घकालीन उपाय में उत्तर और दक्षिण दिशा में खेत के मेड़ों में शहतूत, शीशम, बबूल, जामुन और झाड़ीनुमा पौधों को वायुरोधी के रूप में लगा कर ठंडी हवा से बचाया जा सकता है। वहीं पशुओं और मुर्गी को भी ठंड से बचाने के लिए फार्म की खिड़कियों में बोरी लटकाएं। पशुओं को ताजा पानी ही पिलाएं।
Author: CG FIRST NEWS
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