पिछले तीन सालों में राजनीतिक कारणों से मारे गए 230 लोग, झारखंड में सबसे ज्यादा हुई हत्याएं’- केंद्र सरकार ने लोकसभा में दी जानकारी

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बुधवार को एक सवाल के लिखित जवाब में कहा कि पिछले करीब तीन साल में जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच 400 मुठभेड़ हुई, जिनमें 85 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए.

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में मंगलवार को 2017 और 2019 के बीच हुई राजनीतिक हत्याओं के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में राजनीतिक कारणों से 230 लोग मारे गए. 2017 में 99 लोग, 2018 में 59 लोग, और 2019 में 72 लोग मारे गए. उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में सांसदों को बताया किया कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) 2017 से लगातार राज्यों से ‘राजनीतिक कारणों से हत्या का मकसद’ के तहत डेटा एकत्र कर रहा है.

उन्होंने कहा कि 2017 और 2019 के बीच राजनीतिक हत्याओं में कर्नाटक में कुल 24, केरल और महाराष्ट्र में 15-15 मामले दर्ज किए गए. पश्चिम बंगाल सबसे अधिक राजनीतिक हत्याएं हुईं. यहां 2018 में 13 और इतनी ही 2019 में हुईं. वहीं, 2017 में झारखंड में राजनीतिक कारणों से सबसे अधिक 42 हत्याएं दर्ज की गईं, जो इस श्रेणी में देश भर में लगभग 43 फीसदी थीं

पिछले तीन सालों में सुरक्षाबलों ने 630 आतंकियों को मारा

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बुधवार को एक सवाल के लिखित जवाब में कहा कि पिछले करीब तीन साल में जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच 400 मुठभेड़ हुई, जिनमें 85 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए. वहीं 630 आतंकियों को मार गिराया गया. उन्होंने कहा कि मई, 2018 से जून, 2021 तक जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच 400 मुठभेड़ होने की सूचना है. इन मुठभेड़ों में 85 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए वहीं 630 आतंकवादी मारे गए.

राय ने कहा कि सरकार ने आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस (कतई बर्दाश्त नहीं करने) की नीति अपनाई है और आतंकवादी संगठनों द्वारा दी जाने वाली चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सुरक्षा तंत्र के सुदृढ़ीकरण, राष्ट्र-विरोधी तत्वों के विरुद्ध कानून को सख्ती से लागू करने, घेराबंदी एवं तलाशी अभियानों में वृद्धि जैसे विभिन्न उपाय किए हैं. सुरक्षा बल आतंकवादियों को सहायता देने का प्रयास करने वाले लोगों पर भी कड़ी नजर रखते हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई करते हैं. जम्मू कश्मीर सीमा-पार से प्रायोजित और समर्थित आतंकवादी हिंसा से प्रभावित रहा है.

पिछले छह सालों में 680 सुरक्षाबलों ने की आत्महत्या

इसके अलावा उन्होंने राज्यसभा में एक अन्य सवाल के जवाब में बताया कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) के सीआरपीएफ और बीएसएफ जैसे कुल 680 कर्मियों ने पिछले छह वर्षों में आत्महत्या की है. नित्यानंद राय ने कहा कि 2015 से 2020 की अवधि के दौरान दुर्घटनाओं और मुठभेड़ों में मरने वाले कर्मियों की संख्या क्रमश 1,764 और 323 है. सीएपीएफ और असम राइफल्स द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले छह वर्षों के दौरान 680 कर्मियों ने आत्महत्या की है. घरेलू समस्याएं, बीमारी और वित्तीय समस्याएं आत्महत्याओं के पीछे का कारण हो सकती हैं.

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Author: CG FIRST NEWS

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