उत्तर छत्तीसगढ़ में प्रस्तावित लेमरु हाथी रिजर्व का क्षेत्रफल घटाए जाने के प्रस्ताव को लेकर राज्य सरकार के भीतर मचा घमासान जारी है। धर्मजयगढ़ विधायक लालजीत सिंह राठिया के मांड और हसदेव नदियों के जलग्रहण क्षेत्र को भी रिजर्व में शामिल करने की मांग पर सरकार गंभीर नहीं दिख रही। इस पर कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा, किसी एक व्यक्ति की राय से इतना बड़ा प्रोजेक्ट नहीं बना सकता है। इसलिए लोगों के मत अभी आ रहे हैं। यह मतभेद नहीं है। सभी अपना-अपना मत व्यक्त करते हैं।
लेमरु मुद्दे पर कांग्रेस में उठे विरोधाभासों के सवालों से घिरे कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा, अब हाथियों को तो यह नहीं मालूम की कौन विधायक क्या बोलता है। उन्हें किस क्षेत्र में जाना है। हाथी तो अभी पूरे प्रदेश का भ्रमण कर रहे हैं। डोंडी लोहारा और बालोद तक में हाथियों की वजह से हादसे हो गए हैं। रविंद्र चौबे ने कहा कि यहां पांचों संभागों में हाथियों का विध्वंस शुरू हो गया है तो क्या पूरे प्रदेश को अभयारण्य घोषित कर दिया जाए। इस मामले पर अभी विचार की जरूरत है।
कैबिनेट के प्रवक्ता और कृषि मंत्री रविंद्र चौबे का यह बयान उस समय आया है जब हाथी रिजर्व का क्षेत्रफल छोटा करने के सरकार के प्रस्ताव की चारो ओर आलोचना हो रही है। मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने इसे सीधे-सीधे उद्योगपतियों को संरक्षण देने के लिए उठाया हुआ कदम बताया है।
लालजीत सिंह ने राहुल गांधी के वादों का हवाला दिया
धर्मजयगढ़ विधायक और मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष लालजीत सिंह राठिया ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को एक पत्र लिखा। इसमें मांड और हसदेव नदी के जलग्रहण क्षेत्र को भी लेमरु हाथी रिजर्व में शामिल करने की मांग की है। लालजीत सिंह ने इस पत्र में राहुल गांधी के उन वादों का भी हवाला दिया है। जो उन्होंने मदनपुर और कुदमुरा की चौपाल में स्थानीय आदिवासियों के साथ किए थे।
स्वास्थ्य मंत्री कह चुके हैं NO GO AREA का निर्णय लागू हो
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव भी हाथी रिजर्व का क्षेत्रफल कम करने के प्रस्ताव पर अपना विरोध जता चुके हैं। उन्होंने भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने उन जंगलों को NO GO AREA बनाने का सुझाव दिया था। उन्होंने याद दिलाया है कि केंद्र में यूपीए की सरकार के समय इसका निर्णय हुआ था। टीएस सिंहदेव ने स्पष्ट कहा है कि उन्होंने कैबिनेट में पारित 1995 वर्ग किमी क्षेत्रफल के लेमरु प्रोजेक्ट का कभी विरोध नहीं किया।
विधायकों के नाम पर ही वन विभाग लाया है प्रस्ताव
अगस्त 2019 में राज्य मंत्रिपरिषद ने 1995.48 वर्ग किमी क्षेत्र में लेमरु हाथी रिजर्व बनाने का प्रस्ताव किया था। फैसला हो गया लेकिन तकनीकी वजहों से अधिसूचना जारी नहीं हुई। इस बीच हसदेव नदी के जलग्रहण क्षेत्र और जैव विविधता बचाने के नाम पर इसके विस्तार का प्रस्ताव बना। तय हुआ कि इसे 3 हजार 827 वर्ग किमी कर दिया जाए। इस हाथी रिजर्व में सरगुजा, कोरबा और रायगढ़ जिले का बड़ा हिस्सा आ रहा था।
अब वन विभाग कह रहा है कि स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव समेत कई विधायकों ने हाथी रिजर्व को 450 वर्ग किमी तक सीमित करने का अनुरोध किया है। स्थानीय ग्राम पंचायतों ने भी हाथी रिजर्व का क्षेत्र सीमित रखने का अनुरोध किया है। उनको आशंका है कि इससे उनकी आजीविका बाधित होगी और गतिविधियां सीमित हो जाएंगी। ऐसे में विभाग ने फैसला किया है कि लेमरु हाथी रिजर्व का क्षेत्रफल 450 वर्ग किमी करने और उसकी सीमाओं के निर्धारण का प्रस्ताव मंत्रिपरिषद के सामने रखा जाए।
हाथी प्रभावित गांवों में पहुंचे अमित जोगी, बताया खनन का परिणाम
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी गुरुवार को उत्तर मरवाही के कटरा, उसाढ़ और बेलझिरिया गांव पहुंचे थे। पिछले तीन दिनों में यहां जंगली हाथियों के झुंड ने हमला कर घरों और खेतों को नुकसान पहुंचाया है। अमित जोगी ने कहा कि जशपुर, रायगढ़, महासमुंद, सरगुजा, सूरजपुर, कोरिया और गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिलों में पहले कभी हाथी नहीं आते थे। यहां हाथियों के उत्पात का एकमात्र कारण कोयला खदानों की वजह से उनके लेमरु और हसदेव अरण्य के जंगलों का क्षेत्रफल घटना है। ऐसे में हाथी जाए कहां। उन्होंने कहा कि इस परिस्थिति का खामियाजा उत्तर छत्तीसगढ़ के लाखों वनवासियों को भुगतना पड़ रहा है।
Author: CG FIRST NEWS
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