बस्तर जिले के सभी आश्रमों और छात्रावासों में प्रवेश सीमित रहने से परेशान हो रहे हैं विद्यार्थी
-बकावंड- शासन के आदिम जाति कल्याण विभाग एवं शिक्षा विभाग द्वारा जिले में संचालित आश्रमों और छात्रावासों में सालों से सीटों की संख्या नहीं बढ़ाई गई है। सीटों की संख्या सीमित रहने के कारण दूर दराज के गांवों के सैकड़ों विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने से हर साल वंचित हो जाते हैं। क्षेत्र के वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व जिला पंचायत सदस्य जितेंद्र पाणिग्राही ने इस ज्वलंत मुद्दे की ओर शासन प्रशासन का ध्यान आकर्शित कराया है। उन्होंने विद्यार्थियों की निरंतर बढ़ती संख्या के मद्देनजर सभी आश्रमों एवं छात्रावासों में सीटों की संख्या बढ़ाए जाने की मांग उठाई है। जितेंद्र पाणिग्राही ने कहा है कि बस्तर जिले में पूर्व माध्यमिक शालाओं तथा हायर सेकंडरी एवं हाई स्कूलों की संख्या में ईजाफा हुआ है। इन शालाओं में हर साल दर्ज संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। वहीं जिले में आश्रमों, कन्या शिक्षा परिसरों और छात्रावासों का संचालन पुराने दर्जों पर हो रहा है। आदिम जाति कल्याण विभाग एवं शिक्षा विभाग के आश्रमों, कन्या शिक्षा परिसरों और छात्रावासों में सीटों की संख्या बीते 20 -22 वर्षों से नहीं बढ़ाई गई है। जितेंद्र पाणिग्राही ने कहा है कि दो ढाई दशक पहले स्कूलों की दर्ज संख्या जितनी थी, उसी अनुपात में इन आश्रमों, शिक्षा परिसरों और छात्रावासों में सीटों की संख्या तय की गई थी। जबकि हर साल मिडिल स्कूल और हायर सेकंडरी स्कूल की पढ़ाई पूरी कर सैकड़ों विद्यार्थी आगे की पढ़ाई के लिए दूर दराज के गांवों से ब्लॉक मुख्यालयों एवं जिला मुख्यालय में पहुंचते हैं। इनमें से 90 फीसदी बच्चों को सीटों की अनुपलब्धता के कारण आश्रमों, कन्या शिक्षा परिसरों और छात्रावासों में प्रवेश नहीं मिल पाता। ऐसे में ये बच्चे शिक्षा से जुड़ी राज्य सरकार व केंद्र सरकार की योजनाओं के लाभ से वंचित हो जाते हैं। पाणिग्राही ने कहा है कि इन आश्रमों, कन्या शिक्षा परिसरों और छात्रावासों का उन्नयन भी अब तक नहीं किया गया है। न उनके लिए ढंग से भवन बनाए गए हैं और न ही वहां आधुनिक सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं। विद्यार्थियों को बदइंतजामी के बीच रहकर पढ़ाई करनी पड़ रही है। भाजपा नेता जितेंद्र पाणिग्राही ने जिले के सभी आश्रमों, कन्या शिक्षा परिसरों और प्री मैट्रिक पोस्ट मैट्रिक छात्रावासों तत्काल सीटों की संख्या बढ़ाने और उनका उन्नयन कराने की मांग की है।
बकावंड कॉलेज में शुरू हों पीजी कोर्सेस
पूर्व जिला पंचायत सदस्य जितेंद्र पाणिग्राही ने शासकीय महाविद्यालय बकावंड का अब तक उन्नयन न किए जाने पर भी चिंता जताते हुए अंचल के विद्यार्थियों के लिए इसे दुखद बताया है। उन्होंने कहा है कि यह अंचल का एकमात्र महाविद्यालय है, जहां पचास किमी दूर से आकर विद्यार्थी पढ़ाई करते हैं। इस कॉलेज में स्नातक स्तर की ही पढ़ाई हो पा रही है। स्नात्तकोत्तर की पढ़ाई के लिए अंचल के विद्यार्थियों को जिला मुख्यालय जगदलपुर जाना पड़ता है। वहां रिहायश की समस्या है। जगदलपुर स्थित छात्रावासों में सीटों की संख्या सीमित रहने के कारण वहां ज्यादातर विद्यार्थियों को प्रवेश नहीं मिल पाता। अंचल के ज्यादातर बच्चे गरीब, किसान और आदिवासी परिवारों से हैं। उनके लिए जगदलपुर में किराए का मकान लेकर रहना तथा भोजन पानी का इंतजाम कर पाना बहुत ही मुश्किल काम होता है। नतीजतन अधिकांश विद्यार्थियों को ग्रेजुएशन के बाद पढ़ाई छोड़ देनी पड़ती है। खासकर छात्राएं उच्च शिक्षा प्राप्त करने से वंचित हो जाती हैं। श्री पाणिग्राही ने कहा है कि क्षेत्रीय विधायक ने बकावंड कॉलेज में पीजी कोर्सेस शुरू कराने, पर्याप्त टीचिंग स्टॉफ की व्यवस्था कराने, सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराने की घोषणा की थी, लेकिन कांग्रेस की परंपरा के अनुरूप उनकी ये सभी घोषणाएं हवा हवाई ही साबित हुई हैं। इसी वजह से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्त्ताओं और छात्र छात्राओं को हाल ही में चक्काजाम करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। जितेंद्र पाणिग्राही ने विधायक को उनके वादे याद दिलाते हुए वादे पूरे करने, बकावंड कॉलेज में इसी सत्र से सभी विषयों के पीजी कोर्सेस शुरू कराने, पर्याप्त प्रोफेसरर्स व स्टॉफ नियुक्त करने, सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराने, बकावंड में गर्ल्स हॉस्टल एवं महाविद्यालयीन छात्रों के लिए सर्व सुविधा युक्त छात्रावास खोलने की भी मांग की है।