मछली पालन पर फोकस कर रही है सरकार. (प्रतीकात्मक फोटो)
इस तकनीक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके लिए बहुत कम जगह की जरूरत पड़ती है. पानी भी कम लगता है. एक जगह से दूसरी जगह ले जाया भी जा सकता है.
मछली पालन किसानों के लिए हमेशा से फायदे का सौदा रहा है, लेकिन क्या आपको पता है कि मछली बीज उत्पादन यानी हैचरी से बढ़िया पैसा कमाया जा सकता है. इसके लिए आपको लाखों रुपए भी नहीं लगाने होंगे, इसके लिए बस 4 ड्रम चाहिए और इसकी मदद से सालानों लाखों रुपए की कमाई हो सकती है और इस नई विधा को कहते हैं पोर्टबल कार्प हैचरी सिस्टम (Portable Carp Hatchery system). इसकी लागत लगभग दो लाख रुपए आती है और इससे सालाना 15 से 20 लाख रुपए तक की कमाई हो सकती है.
देश के 26 से ज्यादा राज्यों में हैचरी इकाइयां
ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में स्थित सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेश वॉटर एक्वाकल्चर (सीफा) के वैज्ञानिकों ने इस तकनीक को विकसीत किया है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके लिए बहुत कम जगह की जरूरत पड़ती है. पानी भी कम लगता है कि और इससे मुनाफा भी अच्छा होता है. सीफा ने टीवी9 हिंदी को फोन पर बताया कि अभी तक ऐसी देश के 26 राज्यों में 500 से ज्यादा हैचरी इकाइयां बनाई जा चुकी हैं. सीफा इसके लिए लोगों को इसके लिए प्रशिक्षित भी कर रहा है लेकिन कोविड की वजह से ये काम फिलहाल रुका हुआ है.
इसे एक स्थान से दूसरे स्थान तक भी ले जाया जा सकता है. इसमें कुछ मशीनें लगी होती हैं जिसे बिजली की जरूरत होती है. इस तकनीक को लगाने के लिए वैज्ञानिकों की टीम मौके पर जाती है और उनकी देखरेख में इसे फिट किया जाता है. इसका इस्तेमाल सजावटी मछली पालन या आम कार्प प्रजनन या पानी भंडारण के लिए भी किया जा सकता है. इसकी मरम्मत भी बहुत आसान है.
पूरा खेल बस चार ड्रम का
इस तकनीक को फिट करने में लगभग दो लाख रुपए तक का खर्च आता है. इसके लिए चार ड्रम लगाने होते हैं. पहला स्पॉन्गिंग पूल (जिसमें मछलियां अंडे देती हैं), दूसरा ऊष्मायन पूल (हैचिंग/अंडों को अलग करने के लिए), तीसरा स्पॉन संग्रह पुल और चौथा ओवरहेड भंडारण टैंक/पानी के लिए.इसे एक स्थान से दूसरे स्थान तक भी ले जाया जा सकता है. इसमें कुछ मशीनें लगी होती हैं जिसे बिजली की जरूरत होती है. इस तकनीक को लगाने के लिए वैज्ञानिकों की टीम मौके पर जाती है और उनकी देखरेख में इसे फिट किया जाता है. इसका इस्तेमाल सजावटी मछली पालन या आम कार्प प्रजनन या पानी भंडारण के लिए भी किया जा सकता है. इसकी मरम्मत भी बहुत आसान है.
हर तीसरे दिन 10 से 12 लाख स्पॉन
हर तीसरे दिन 10 से 12 लाख स्पॉन (अंडे) निकलते हैं. मछलियों के प्रजनन का समय जून से सितंबर के बीच होता है. ड्रम में पानी का बहवा हमेशा चाहिए होता है जिसके लिए बिजली से चलने वाली मशीनों को उनमें फिट कर दिया जाता है. एक सीजन में 20 से 30 बार बीज उत्पादन किया जा सकता है और मुनाफा भी कमाया जा सकता है. ज्यादा जानकारी के लिए आप सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेश वॉटर एक्वाकल्चर (सीफा) भुवेनश्वर, से संपर्क भी कर सकते हैं, मोबइल नंबर 7894255176, 9337644346 है.
Author: CG FIRST NEWS
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