कर्नाटक: कैबिनेट विस्तार के बाद कई नेताओं में नाराजगी, बोले- आश्वासन के बाद भी नहीं मिली मंत्रीमंडल में जगह

कर्नाटक

मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए श्रीमंत पाटिल ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें मंत्री बनाया जाएगा और जिले को प्रतिनिधित्व मिलेगा. कई और नेता भी कैबिनेट विस्तार से खुश नहीं हैं.

कर्नाटक में कैबिनेट विस्तार के बाद ऐसा लगता है कि सत्तारूढ़ बीजेपी के अंदर असंतोष पनप रहा है. मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के मंत्रिमंडल में जगह नहीं पाने वाले नेताओं और उनके समर्थकों ने खुले तौर पर अपनी नाराजगी व्यक्त की. वहीं, कई जिलों को कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला. तेरह जिलों (मैसूरू, कलबुर्गी, रामनगर, कोडागु, रायचूर, हासन, विजयपुरा, बेल्लारी, दावणगेरे, कोलार, यादगीर, चिक्कमगलुरु और चामराजनगर को कैबिनेट में कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला है).

येदियुरप्पा की कैबिनेट में शामिल कई मंत्रियों को भी बोम्मई के मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिला है और उन्होंने भी असंतोष व्यक्त किया है. जिन पूर्व मंत्रियों को नए मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली उनमें जगदीश शेट्टार (जिन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री होने की वजह से वरिष्ठता का हवाला देते हुए मंत्री नहीं बनने का फैसला किया), सुरेश कुमार, लक्ष्मण सावदी, अरविंद लिंबावली, सीपी योगेश्वर, श्रीमंत पाटिल और आर शंकर शामिल हैं.

मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने पर नाराजगी

मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए शंकर ने कहा कि उन्हें आश्चर्य है कि उन्हें “आश्वासन के बावजूद” मंत्री क्यों नहीं बनाया गया. वह 2019 में कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन छोड़ने के बाद बीजेपी में शामिल हुए विधायकों में से एक हैं. हालांकि उन्होंने आने वाले दिनों में मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की उम्मीद भी जताई.

श्रीमंत पाटिल को भी नहीं मिली मंत्रीमंडल में जगह

श्रीमंत पाटिल ने भी बोम्मई कैबिनेट का हिस्सा नहीं बनाए जाने पर इसी तरह की राय व्यक्त की है. वह कांग्रेस छोड़ने और उसके बाद का उपचुनाव जीतने के बाद येदियुरप्पा कैबिनेट में मंत्री बने थे. बीजेपी के वरिष्ठ नेता और मैसूरू जिले की कृष्णराज सीट से विधायक एसए रामदास ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें मंत्री बनाया जाएगा और जिले को प्रतिनिधित्व मिलेगा.

मंत्री नहीं बनाए जाने पर बोम्मई पर निशाना साधते हुए हवेरी से विधायक नेहारू ओलेकर ने कहा, “’मैं अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय से हूं. मैं तीन बार निर्वाचित हुआ हूं और पार्टी का वफादार होने के बावजूद, मुझे मंत्री नहीं बनाया गया है. इसका कारण यह है कि बोम्मई को लगता है कि मैं हीन हूं. उन्होंने कहा कि न येदियुरप्पा और न ही आलाकमान उनके समर्थन में आए.

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Author: CG FIRST NEWS

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