नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के जहांगीरपुरी में अतिक्रमण और अवैध निर्माण ढहाने की कार्रवाई पर रोक लगा दी है. शीर्ष अदालत ने जहांगीरपुरी में यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है. कल इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. शीर्ष अदालत ने दिल्ली के मुख्य सचिव, एमसीडी और जहांगीरपुरी के एसएचओ को लीगल नोटिस जारी किया है. वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हिंसाग्रस्त जहांगीरपुरी में असंवैधानिक तरीके से विध्वंस का आदेश दिया गया है. कोई सूचना नहीं दी गई, जबकि 15 दिन का नोटिस जरूरी होता है. उन्होंने कहा कि अतिक्रमण हटाओ अभियान के लिए समय दो बजे कहा गया था लेकिन विध्वंस 9 बजे शुरू हो गया. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एनडीएमसी के मेयर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई रोक दी गई है.
इससे पहले, भाजपा शासित उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) ने जहांगीरपुरी में अतिक्रमण-रोधी अभियान शुरू किया था. एनडीएमसी ने उत्तर पश्चिमी पुलिस उपायुक्त को लिखे पत्र में कहा था कि एक विशेष संयुक्त अतिक्रमण-रोधी कार्यक्रम जहांगीरपुरी में निर्धारित है. एनडीएमसी सिविल लाइंस जोन के सहायक आयुक्त ने डीसीपी को लिखे पत्र में कहा, ‘आप (पुलिस) से 20 अप्रैल या 21 अप्रैल को (सुबह 9.30 बजे से) अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए महिला पुलिस/बाहरी बल सहित कम से कम 400 पुलिसकर्मियों को उपलब्ध कराने का अनुरोध किया जाता है.’जहांगीरपुरी में अतिक्रमण विरोधी अभियान पर नॉर्थ एमसीडी के मेयर राजा इकबाल सिंह ने कहा कि ये हमारा रूटीन का काम है कि जहां अवैध निर्माण और सरकारी ज़मीन पर अतिक्रमण हो, वो जगह हम खाली करवाते हैं. आज भी हम वही काम करने वाले हैं. हमारा यही संदेश है कि लोग सार्वजनिक जमीन को फ्री छोड़ दें. बता दें, दिल्ली के जहांगीरपुरी में बीते शनिवार को हनुमान जयंती पर शोभायात्रा के दौरान दो समुदायों के बीच झड़प हुई थी, जिसमें आठ पुलिस कर्मी और एक स्थानीय निवासी घायल हुए थे. पुलिस के अनुसार, झड़पों के दौरान पथराव और आगजनी हुई और कुछ वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया गया.
Author: CG FIRST NEWS
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