संवाददाता ओम प्रकाश उसेंडी
नारायणपुर :- जिले में दिनों दिन गैर आदिवासी धर्मांतरण कर ईसाई धर्म में सम्मिलित हो रहे हैं जोकि आदिवासी संस्कृति को छोड़कर ईसाई धर्म व प्रार्थना से जुड़ने के बाद, आदिवासी समुदाय को छोड़कर, ईसाई रीति रिवाज अपनाने लगते हैं, और आदिवासी संस्कृति को नहीं स्वीकार ने लगते हैं। इसी कारण आदिवासी समुदाय, गैर आदिवासियों से आक्रोशित है। आदिवासियों का कहना है कि अगर जिस गांव में या ग्राम पंचायत में निवास कर रहे हैं गायता, पटेल, व सरपंच के नियमों को पालन नहीं करने के कारण इनको गैर आदिवासियों को गांव से बहिष्कार किया जाएगा। क्योंकि गांव का मुख्य कर्ताधर्ता गायता, पटेल, और सरपंच की होते हैं, क्योंकि गांव या ग्राम पंचायत के नियमों का उल्लंघन करने पर आदिवासी समुदाय व ग्रामवासी अपने से अलग करने को ही उचित मानते हैं। क्योंकि पांचवी अनुसूची क्षेत्र के अनुसार, व रूढ़िवादी प्रथा के अनुसार ही आदिवासी समुदाय का संचालन होता है। जिले में इन दिनों धर्मांतरण का मामला गरमाया हुआ है। कभी ईसाई प्रार्थना करने वाले सुरक्षा की गुहार के लिए प्रशासन का दरवाजा खटखटाते हैं, तो कभी इनके विरोध में गांव का गांव हजारों की संख्या में लामबंद हो जाता है। नारायणपुर जिले के हर क्षेत्र के प्रायः सभी गांव में ग्रामीणों में दो फाड़ देखने को मिल रहा है। लोगों का कहना है कि ईसाई मिशनरी के लोग नारायणपुर के भोले-भाले गरीब और अनपढ़ आदिवासियों को, बहला-फुसलाकर, ईसाई धर्म, शिक्षा स्वास्थ्य व लालच देकर, आदिवासी संस्कृति से श्रेष्ठ ईसाई धर्म बता कर या अन्य तरीके से प्रलोभन देकर लोगों का मन बदलने में लगातार सफल हो रहे हैं। लोगों का यह भी कहना है कि ईसाई मिशनरी के लोग भोले-भाले लोगों को कई तरह की काल्पनिक कहानियां और वीडियो दिखा कर दिग्भ्रमित करते हैं।
प्रदेश के राज्यपाल के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने आये हुए हजारों की तादात में पहुंचे, ग्रामीणों का प्रतिनिधित्व कर रहे, केरलापाल के सरपंच शान्तु राम दुग्गा ने, मीडिया से चर्चा में कहा कि हम सभी लोग प्रदेश के राज्यपाल के नाम, कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने आये हैं, गांव के भोले-भाले आदिवासियों को ईसाई मिशनरी के लोग अपने धर्म में शामिल करते हैं। जिसके बाद यह लोग ईसाई धर्म के अनुसार प्रार्थना करते हैं और गांव के रीति-रिवाजों और पारंपरिक तरीकों को नहीं मानते। इस कारण जो चर्च में ईसाई प्रार्थना के लिए जाते हैं उन्हें आदिवासी आरक्षण, जाति निवास संबंधित हो या फिर नौकरी संबंधित हो, तुरंत आरक्षण खत्म किया जाए। गांव में रहते हुए भी यह लोग गायता एवं पुजारी के कहे अनुसार नहीं चलते,तो हमारी मांग यह हैं कि जब ये पुरखों से चली आ रही परंपरा को नहीं मानते तो इन्हें पूर्ण रूप से ईसाई मानते हुए इनको आदिवासी समुदाय का लाभ ना दिया जाए। व गांव से पूरी तरह इनको बाहर किया जाए। और इनके परिवारों में से किसी की मृत्यु होने पर भी उन्हें हमारे गांव के जमीन में दफनाने की अनुमति न दी जाए बल्कि उन्हें ईसाई कब्रिस्तान में दफनाया जाए। ज्ञात हो कि इन दिनों नारायणपुर जिले में मंदिरों और देव गुड़ी से ज्यादा चर्च दिखने लगे हैं,जो इस बात की ओर इशारा करता है कि आने वाला समय आदिवासी समाज एवं संस्कृति के लिए बड़ा खतरा है।
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Author: CG FIRST NEWS
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