नक्सली फिर बस्तर में विकास के खिलाफ:प्रेस नोट में कहा- बस्तर में परियोजनाएं लगीं तो आदिवासियों से छिन जाएंगे, जल, जंगल और जमीन, पेसा कानून लागू करने का भी जिक्र

नक्सलियों के दरभा डिवीजन कमेटी के सचिव साईनाथ ने प्रेस नोट जारी किया है। प्रेस नोट के माध्यम से साईनाथ ने 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस को सरकारों द्वारा आदिवासियों पर किए जा रहे सामूहिक नरसंहार के विरुद्ध दिवस मनाने की बात कही है। नक्सलियों ने प्रेस नोट में लिखा है कि अपने संवैधानिक अधिकार बचाने के लिए संघर्ष करेंगे। पुलिस प्रशासन द्वारा किए गए सामूहिक नरसंहार का विरोध करते हुए दोषी अधिकारियों को सजा दिलाने की मांग करेंगे। वहीं नक्सलियों ने बस्तर में पेसा कानून लागू करने की भी बात कही है।

माड़िया जनजाती का अस्तित्व खत्म हो जाएगा
साईनाथ ने प्रेस नोट के माध्यम से कहा है कि बस्तर संभाग में प्रस्तावित खनन व बांध जैसी अलग-अलग परियोजनाएं यदि शुरू होती हैं तो आदिवासियों की लाखों एकड़ जल, जंगल और जमीन छीन ली जाएगी। सैकड़ों गांव तबाह होंगे व लाखों लोगों को विस्थापित किया जाएगा। इसका बुरा प्रभाव यहां की प्राचीनतम जनजाति पर पड़ेगा। विशेष कर माड़िया जनजाती का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा।

बेकसूर लोगों को मारने का आरोप
नक्सलियों ने कहा है कि, बस्तर एक 5वीं अनुसूची का इलाका है। यहां पेसा कानून लागू करना चाहिए। लेकिन यहां ग्राम सभाओं की अनुमति के बिना ही खदान खोली जा रही है। नक्सलियों ने आगे कहा कि यहां के लोग अपने संवैधानिक अधिकार के लिए व विस्थापन के विरोध में जब आवाज उठाते हैं, तो उन आदिवासी आवाम पर सरकारों द्वारा भीषण दमन किया जाता है। इसके साथ ही नक्सलियों ने सुरक्षाबलों पर ऑपरेशन ग्रीन हंट के दौरान बेकसूर छात्रों, किसानों, आदिवासियों व महिलाओं को फर्जी मुठभेड़ में मारने का आरोप भी लगाया है।

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Author: CG FIRST NEWS

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