छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में लाइलाज बीमारी प्रोजेरिया से जूझ रहे 16 साल के शैलेंद्र ध्रुव को प्रशासन ने एक दिन का कलेक्टर बनाया है। शैलेंद्र बचपन से कलेक्टर बनने का सपना देखता था, इसे प्रशासन ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आदेश पर पूरा किया। शुक्रवार को जैसे ही शैलेंद्र कलेक्टर ऑफिस पहुंचा तो उससे मिलने कलेक्टर निलेश क्षीरसागर खुद कार तक आए और उसे शैडो कलेक्टर की जिम्मेदारी दी। इसके बाद अब शैलेंद्र मुख्यमंत्री से मिलने रायपुर पहुंचा। यहां शैलेंद्र की मुलाकात सीएम भूपेश बघेल से हो गई। शैलेंद्र इस गंभीर बीमारी के चलते बॉलीवुड फिल्म पा के किरदार औरो की तरह दिखता है। फिल्म में यह किरदार अमिताभ बच्चन ने निभाया था।
गार्ड ऑफ ऑनर में दिया गया स्थान
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर में आईजी-एसपी कॉफ्रेंस के दौरान ही शैलेंद्र से मुलाकात की। सीएम ने शैलेंद्र को कॉफ्रेंस के दौरान आपने पास की कुर्सी पर बैठा लिया और उससे बात की। एसपी कान्फ्रेंस के बाद पुलिस बल द्वारा मुख्यमंत्री को दिए जाने वाले ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ में शैलेन्द्र को भी स्थान दिया गया। मुख्यमंत्री ने शैलेंद्र का परिचय मंत्रियों और अधिकारियों से भी कराया और गरियाबंद एसपी से कहा कि शैलेंद्र को अपने दफ्तर में भी बुलाएं।
शैडो कलेक्टर की जिम्मेदारी देने के बाद गरियाबंद कलेक्टर निलेश क्षीरसागर ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद शैलेंद्र को ये जिम्मेदारी दी गई है। मुख्यमंत्री से मिलने का समय तय था। इसलिए शैलेंद्र को भी ऑफिस में कुर्सी में नहीं बैठाया गया है। वह जैसे ही रायपुर से लौटेगा तो उसे बकायदा कुर्सी पर भी बैठाया जाएगा। शैलेंद्र ने कहा कि मुझे शैडो कलेक्टर बनने के बाद अच्छा लग रहा है। शैलेंद्र राज्य का पहला प्रोजेरिया पीड़ित है। उसकी बीमारी का पता 4 साल पहले चला था।
16 साल का शैलेंद्र जिले के छुरा विकासखंड के मेढकीढबरी गांव का रहने वाला है। शैलेंद्र ने कुछ दिन पहले की कलेक्टर बनने की इच्छा जाहिर की थी। मीडिया के जरिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी इस बात की जानकारी लगी तब उन्होंने जिला प्रशासन को शैलेंद्र की यह इच्छा पूरी करने निर्देश दिए थे। बीमारी के कारण उसकी शारीरिक कोशिकाओं का अधिक विकास हो चुका है। जिसके चलते वह 80 साल के बुजुर्ग जैसा नजर आता है।
शैलेंद्र स्कूल भी जाता है तो शिक्षक पढ़ाई को लेकर उस पर कभी कोई दबाव नहीं डालते। वह दूसरे बच्चों की तरह न तो शरारत करता है और न ही खेलता है। स्कूल के सब बच्चे भी उसके साथ सामान्य व्यवहार करते हैं। शैलेन्द्र के परिजन ने बताया कि वह बचपन से ही इस बीमारी से पीड़ित है। उसकी इच्छा कलेक्टर बनने की है, लेकिन बीमारी की वजह से उसका शारीरिक विकास रुक गया है, जिसके कारण वह अपना सपना पूरा नहीं कर सका। वह कलेक्टर की कुर्सी पर बैठने की इच्छा जाहिर करता था, जो अब पूरी हो गई है।
इलाज की तैयारी में जुटा स्वास्थ्य विभाग
इधर, शैलेंद्र के इलाज के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम ने तैयारी शुरू कर दी है। टीम शैलेंद्र के टेस्ट की तैयारी कर रही है। जिला अस्पताल के अधीक्षक जीएस टंडन ने बताया है कि बच्चे के इलाज के लिए हर संभव मदद की जाएगी।
Author: CG FIRST NEWS
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