जिला ब्यूरो :-फिलिप चाको

तेज रफ़्तार का कहर फिर एक बार बालोद शहर के अंदर अंधाधुंध दौड़ती ट्रको के पहियों के नीचे ना जाने और कितनी जाने जाने के बाद इन मौतों के जिम्मेदार और इन से पैसा कमाने वाले ट्रक मालिकों और इनको चालकों को शकुन मिलेगा और प्रशासन कब जागेगा, कल रात 10बजे की घटना ने फिर एक बार ये सवाल खड़ा कर दिया है की आखिर ये मौतों का सिलसिला कब थमेगा, कल रात गंगा मैय्या किराया भंडार में काम करने वाले संजय गावड़े उम्र 45 साल निवासी देवरतराई को तेज रफ़्तार ट्रक ने अपने चपेट में लेते हुये मौत की नींद सुला दीया एक और परिवार का सहारा चला गया टक्कर इतनी भयानक थी की आस पास खड़े लोगो के रौंगटे खड़े हो गये, फिर भी लापरवाह ट्रक ड्राइवर ने ना इंसानियत दिखाई और नाही कोई करुणा बल्कि बस स्टैंड के सामने वाले पेट्रोलपंप के बाजु में अपनी मोटरसाइकिल में खड़े अपने साथी का इंतजार करने वाले मोटरसाइकिल सवार को सामने से रौंदते हुए भागने में व्यस्त हो गया पर नया बस स्टैंड और घटना स्थल के आस पास खड़े लोगो ने मानवता दिखाते हुये दौड़कर मदद की कोशिश की तत्काल मौके पर पहुंचे बालोद थाना पेट्रोलिंग स्टाफ की मदद से घायल संजय को अस्पताल पहुंचाया किन्तु चोट इतनी गंभीर थी की ईलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी घटना के कुछ मिंटो में पहुंचे साइबर और यातायात प्रभारी और उन्की टीम ने ट्रक का पीछा किया और फरार कातिल ट्रक चालक को गुंडरदेही के पास धर दबोचा है उसकी गिरफ्तारी के पश्चात बालोद थाने में लाकर आगे की कार्रवाही जारी है, शव को पोस्टमार्टम के पश्चात् घर वालो को सौंपा जायेगा, पर फिर भी एक सवाल बाकि है आखिर ये मौतों का तांडव रुकेगा कब क्या शहर के अंदर या सड़को पर इस जानलेवा गति पर कोई नियंत्रण है, या किसी का अधिकार और नियंत्रण है या फिर फिर कुछ धन्ना सेठो को लाभ पहुँचाने के लिए सड़को पर चलते फिरते यमदुतो को आज़ादी दे दी गई है की सड़को पर चलने वाले आम नागरिको को कीड़े मकोड़ो की तरह रौंदते रहो, हमे क्या? आखिर जिम्मेदारी लेगा कौन क्या इस पर कोई कार्रवाही होगी या फिर इस तरह की घटना या इससे और बड़ी दुर्घटना का इन्तजार है, आये दिन अखबारों में सड़को की खस्ता हालत और खराब गुणवक्ता को लेकर प्रकाशन हो रहे है, पर जिला प्रशासन की सुस्ती और मौनव्रत से लगता है, जैसे जिले में सब कुछ सही है आम नागरिको को हो रही समस्याओ को जैसे अब सुनना तो दूर बल्कि यु लगने लगा है जैसे देख कर भी अनदेखा किया जा रहा है, इन यमदूत बने ट्रको पर जो की माइंस से कच्चा माल लेकर चलते है, इन पर शक्त कार्रवाही नही की गई और इनकी गति पर नियंत्रण नही किया गया तो कही एसा ना हो की किसी दिन जनता उग्र हो कर इन्के पहिये ही थमवा दे !



इस पूरे मामले में फिर एक बार करोडो की लागत से बने जिला अस्पताल ने साबित कर दिया की वो एक रेफरल यूनिट से ज्यादा कुछ नही है, जिला अस्पताल लाख चाहे अपनी पीठ थप थपा ले या अपने मुँह मिया मिट्ठू बने पर सच्चाई ये है की वो करोड़ो की लागत में बना एक रेफरल यूनिट है, जहाँ पर दिखावे की सुविधा मात्र हैं, एम्बुलेंस हैं पर ड्राइवर नही, ड्राइवर उपलब्ध करो तो गाड़ी खराब, x-रे की सुविधा के लिए लाखो की मशीने है पर समय पर ऑपरेटर नहीं, कही ना कही ये सवाल जहन में पैदा करते है की कुल मिला कर निजी चिकत्सालयो को लाभ पहुंचाने की कोशिश तो नहीं, जाँच का विषय है, की करोड़ो की खनिज न्यास निधि कमाने वाले बालोद जिले को आखिर सम्पूर्ण सुविधाओं वाला अस्पताल आखिर मिलेगा कब या बालोद जिले वाशियो को स्वास्थ लाभ के लिए अन्य जिलों पर ही निर्भर रहना होगा !
