भारत छोड़ने के लिए विमान के लैंडिंग गियर में छिपे थे दो भाई, 40000 फीट की ऊंचाई और -60 डिग्री ठंड वाले उस ‘काले सफर’ की कहानी सुन कांप जाएगी रूह

विजय सैनी का बड़ा भाई प्रदीप सैनी

अफगानिस्तान के लोग तालिबान की गोलियों से बचने के लिए विमान की छत और लैंडिंग गियर्स पर भी सवार होकर देश छोड़ने के लिए तैयार हैं. देश छोड़ने की इसी अफरा-तफरी में कई अफगानी, टेकऑफ कर चुके अमेरिकी विमान से नीचे गिरकर मारे गए.

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से ही वहां के हालात बेहद खराब हो चुके हैं. तालिबान के अत्याचार से बचने के लिए अफगानिस्तान के लोग किसी भी तरह से अपना देश छोड़कर दूसरे देश जाने के लिए काबुल एयरपोर्ट पर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. अभी कुछ ही दिन पहले अमेरिकी वायुसेना के विमान में सैकड़ों अफगानी सवार होकर अमेरिका पहुंचे थे. हालांकि, विमान में सवार होने का मौका सिर्फ किस्मत वालों को ही मिला जबकि बाकी लोग विमान में घुसने के सपने ही देखते रह गए. तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान के हालातों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वहां के लोग जान बचाने के लिए भी जान को ही दांव पर लगा रहे हैं.

देश छोड़ने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार अफगानी

अफगानिस्तान के लोग तालिबान की गोलियों से बचने के लिए विमान की छत और लैंडिंग गियर्स पर भी सवार होकर देश छोड़ने के लिए तैयार हैं. देश छोड़ने की इसी अफरा-तफरी में कई अफगानी, टेकऑफ कर चुके अमेरिकी विमान से नीचे गिरकर मारे गए. इस हादसे की वीडियो दुनियाभर में वायरल हुईं, जिसे देखने के बाद हर कोई विचलित हो गया. इन दृश्यों ने साल 1996 के उस वाक्ये की याद दिला दी, जब भारत के दो नौजवान देश छोड़कर लंदन जाने के लिए ब्रिटिश एयरवेज के एक विमान के लैंडिंग गियर में छिप गए थे. उसके बाद जो कुछ भी हुआ, वह दिल दहला देने वाला था.

साल 1996 में दिल्ली से लंदन जाने के लिए लैंडिंग गियर में छिपे थे दो भाई

साल 1996 में पंजाब के रहने वाले दो भाइयों ने पुलिस की कार्रवाई से बचने के लिए देश छोड़ने का प्लान बनाया. हालांकि, विदेश जाने के लिए उनके पास न तो पासपोर्ट था और न ही वीजा. लिहाजा, वे सिर्फ गैर-कानूनी तरीके से ही विदेश जा सकते थे. प्रदीप सैनी (23 साल) और विजय सैनी (19 साल) पंजाब से दिल्ली पहुंचे और कई दिनों तक इंदिरा गांधी एयरपोर्ट की रेकी की. एयरपोर्ट में घुसने का रास्ता ढूंढकर दोनों भाई अक्टूबर 1996 में लंदन के हीथ्रो जाने वाली ब्रिटिश एयरवेज की फ्लाइट के लैंडिंग गियर में छिप गए. दोनों भाई, अलग-अलग लैंडिंग गियर में छिपे थे. अब दोनों भाई लंदन जाने के लिए पूरी तरह से तैयार थे और उस ‘कालकोठरी’ में छिपे हुए थे, जहां टेकऑफ के बाद लैंडिंग गियर अंदर की ओर चले जाते हैं.

-60 डिग्री के तापमान में 40 हजार फीट की ऊंचाई से गुजरा था विमान

देश छोड़ने के लिए दोनों भाइयों ने जो खौफनाक तरीका अपनाया था, उन्होंने कभी सपने में भी उसके बारे में नहीं सोचा होगा. दरअसल, दोनों भाई जिस फ्लाइट की लैंडिंग गियर्स में छिपे थे, उसे 6500 किलोमीटर की दूरी, 10 घंटे का समय, 40 हजार फीट की ऊंचाई, -60 डिग्री सेल्सियस तापमान, लगभग 1000 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से लंदन पहुंचनी थी. इतना ही नहीं, दोनों भाइयों को इंजन के बेहिसाब से शोर का भी सामना करना था. दिल्ली से रवाना होने के करीब 10 घंटे बाद जब फ्लाइट लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट पर लैंड हुई तो एक कर्मचारी को लैंडिंग गियर में से एक भारी-भरकम चीज गिरी हुई मिली. लैंडिंग गियर से नीचे गिरी चीज के पास जाकर देखा गया तो वह प्रदीप सैनी था जिसकी सांसें चल रही थीं. उसे आनन-फानन में नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया.

ठंड की वजह से छोटे भाई की हो गई थी मौत

अस्पताल में भर्ती कराए गए प्रदीप को होश आया तो उसने जब डॉक्टरों को पूरी कहानी सुनाई. प्रदीप की बातें सुनकर डॉक्टरों के पैरों तले जमीन खिसक गई. डॉक्टर ही क्या, किसी भी व्यक्ति को प्रदीप की बातों पर यकीन ही नहीं हो रहा था कि वह लगातार 10 घंटे तक 40 हजार फीट की ऊंचाई पर -60 डिग्री और विमान के भारी-भरकम इंजन का शोर कैसे झेल गया. इसी बीच प्रदीप ने जब अपने छोटे भाई विजय के बारे में पूछा तो उसका कुछ भी मालूम नहीं चला. फिर करीब 5 दिन बाद साउथ-वेस्ट लंदन के रिचमोंड स्थित एक औद्योगिक क्षेत्र में एक शव पाया गया, जिसकी पहचान विजय सैनी के रूप में हुई. मालूम चला कि विजय की मौत असहनीय ठंड की वजह से हुई थी और वह लैंडिंग की तैयारी में एयरपोर्ट के नजदीक पहुंच चुके विमान से 2000 फीट की ऊंचाई से नीचे गिर गया था. जब वह नीचे गिरा था, उस वक्त उसका शव ठंड के मारे जम गया था.

लंदन में ही काम कर रहा है प्रदीप सैनी

हालांकि, प्रदीप गैर-कानूनी तरीके से लंदन में घुसा था तो उसे ब्रिटेन की कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ा. 18 साल तक प्रदीप के खिलाफ मुकदमा चलता रहा और आखिरकार उसे बरी कर दिया गया. इतना ही नहीं, प्रदीप सैनी को ब्रिटेन की नागरिकता भी दी गई और अब वह लंदन में ही अपने परिवार के साथ रह रहा है. प्रदीप सैनी शादी कर चुका है और उसके दो बच्चे भी हैं. प्रदीप सैनी की उम्र अब 44 साल हो चुकी है. प्रदीप कहते हैं कि वह उस दिन के बारे में कुछ भी याद नहीं करना चाहता, क्योंकि उस दिन को याद करके वह उन पलों को याद करने लगता है जिसने उसे सबसे गहरे जख्म दिए हैं.

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Author: CG FIRST NEWS

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