AERA यह फैसला लेता है कि पैसेंजर्स से एयरपोर्ट शुल्क कितना वसूला जाएगा.
भारत में एयरलाइंस के परिचालन की लागत काफी ऊंची है और ऐसे में जरूरी है कि विमानपत्तन आर्थिक नियामक प्राधिकरण (AERA) को और सशक्त किया जाए, जिससे यात्रियों के हितों का संरक्षण हो सके. अंतरराष्ट्रीय वायु परिवहन संघ (IATA) के एशिया-प्रशांत के लिए क्षेत्रीय उपाध्यक्ष फिलिप गोह ने यह राय जताई है. AERA किसी अवधि के लिए हवाईअड्डे के खर्च और आमदनी के अनुमान के आधार पर शुल्क तय करता है. AERA द्वारा यह निर्धारित किया जाता है कि किसी अवधि के लिए कोई हवाईअड्डा एयरलाइन या यात्रियों से कितना मूल हवाईअड्डा शुल्क, विमान उतारने का शुल्क, पार्किंग शुल्क और यात्री सेवा शुल्क वसूलेगा.
गोह ने कहा, ‘‘पिछले साल के दौरान देश के प्रमुख हवाईअड्डों पर तीसरी नियंत्रण वाली अवधि की शुल्क समीक्षा के दौरान AERA ने स्वतंत्र नियामक के रूप में काफी अच्छा काम किया है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे समय जबकि सरकार राष्ट्रीय मौद्रिकरण पाइपलाइन के तहत हवाईअड्डों की संपत्तियों के मौद्रिकरण पर जोर दे रही है, यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि AERA को सशक्त किया जाए, जिससे उपभोक्ता हितों का संरक्षण हो सके.’’ पिछले साल फरवरी में कोरोना वायरस महामारी शुरू होने के बाद AERA ने दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े हवाईअड्डों की तीसरी नियंत्रण अवधि में शुल्कों में बड़ी बढ़ोतरी की मांग को खारिज कर दिया था. यह अवधि अप्रैल, 2019 से शुरू होकर मार्च, 2024 में खत्म होगी.
एविएशन मिनिस्ट्री रॉयल्टी में किराया के रुख में करें बदलाव
स्वतंत्र हवाईअड्डा नियामक के रूप में AERA की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है. अन्यथा हवाईअड्डों द्वारा बिना न्यायोचित आधार, पारदर्शिता तथा निगरानी के शुल्कों में बढ़ोतरी की जाएगी. उन्होंने कहा कि ऊंची लागत के वातावरण में हवाईअड्डा शुल्क समस्या का सिर्फ एक हिस्सा है. ‘‘हम चाहते हैं कि नागर विमानन मंत्रालय भारतीय हवाईअड्डा रॉयल्टी में किराया चाहने के अपने रुख में बदलाव करें.’’
विमानन सुरक्षा शुल्क में बढ़ोतरी किया गया है
उन्होंने कहा कि इसी तरह भारतीय विमानन सुरक्षा शुल्क (एएसएफ) में बढ़ोतरी हुई है. यह शुल्क जुलाई, 2019 में लाया गया था. अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए इस शुल्क में दो साल की अवधि में 370 प्रतिशत तथा घरेलू यात्रियों के लिए 54 प्रतिशत की वृद्धि की गई है.
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Author: CG FIRST NEWS
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