- Two Matches In One Night And Both Very Different From Each Other, The Score Line Doesn’t Always Tell How The Game Turned Out
पुर्तगाल के कप्तान रोनाल्डो ने मैच में दो गोल जरूर किए लेकिन उनकी टीम मुकाबले के पहले 80 मिनट तक हंगरी के डिफेंस को नहीं भेद सकी थी।
यूरो कप में मंगलवार रात एक-दूसरे से दो निहायत भिन्न क़िस्म के मैच खेले गए। पुर्तगाल बनाम हंगारी मुक़ाबला लो-ब्लॉक वाला था, फ्रांस बनाम जर्मनी वाला मुक़ाबला हाई-लाइन वाला। अलबत्ता स्कोर देखकर आप कहेंगे कि पुर्तगाल बनाम हंगारी मुक़ाबले में तीन गोल दाग़े गए यानी ख़ूब आक्रामक फ़ुटबॉल खेली गई होगी, जबकि हक़ीक़त इससे ठीक उलट है। वहीं फ्रांस बनाम जर्मनी के मैच का स्कोर देखकर आप कहेंगे, पूरे खेल में एक ही गोल हुआ और वह भी सेल्फ़-गोल, यानी बड़ा उबाऊ मैच हुआ होगा- जबकि वास्तविकता इससे कोसों दूर है।
फ़ुटबॉल हमें अनेक चीज़ों के साथ ही यह सबक़ भी सिखाती है कि जीवन में कभी भी सांख्यिकी, प्रतिवेदन और औसत का गणित देखकर कोई निर्णय नहीं लीजिये, चीज़ों को पूरे परिप्रेक्ष्य में समझिये। अलबत्ता रसूख़दार टीमों और नामचीन खिलाड़ियों की पी.आर. एजेंसियां तो यही चाहेंगी कि फ़ैंस वही देखें जो वो दिखाना चाहते हैं।
हंगारी दुनिया में 40वीं रैंकिंग वाली टीम है। जब उसका सामना मौजूदा चैम्पियन पुर्तगाल से हुआ तो उसने वही किया जो वैसी टीमें ऐसे अवसरों पर करती है- डिफ़ेंसिव ऑर्गेनाइज़ेशन और काउंटर-अटैक फ़ुटबॉल। साधुभाषा में इसे पार्किंग-द-बस शैली की फ़ुटबॉल कहा जाता है। हंगारी ने बहुत उम्दा तरीक़े से अपनी गाड़ी गोलचौकी के सामने पार्क की थी। अस्सी से अधिक मिनटों तक वो जांबाज़ों की तरह क़िला लड़ाते रहे। मैच का पहला गोल भी उन्होंने किया, लेकिन उसे ऑफ़साइड क़रार दिया गया। एक डिफ़्लेक्टेड गोल ने अंतिम मिनटों में उसे 1-0 से पीछे कर दिया, उसके बाद उनका मनोबल टूट गया और डिफ़ेंस का शीराज़ा बिखर गया।
जिन्होंने भी यह मैच देखा है, वो बतला सकते हैं कि हंगारी 3-0 से हारने और पुर्तगाल इतने अंतरों से जीतने की क़तई हक़दार नहीं थी, लेकिन यही फ़ुटबॉल है। हंगारी से वही भूल हुई, जो हाल के सालों में जोज़े मोरीनियो की टीमों से होती रही हैं, और वो ये कि आप नब्बे मिनटों तक गेम को डिफ़ेंड नहीं कर सकते, आप इतने समय तक गेंद का पीछा नहीं कर सकते। आप प्रतिद्वंद्वी को पज़ेशन सौंपकर यह नहीं कह सकते कि हम आपके वार झेलेंगे, लेकिन अपने क़िले में सेंध नहीं लगने देंगे। यह लगभग असम्भव है।
फ़ुटबॉल का खेल जितना गेंद के साथ खेला जाता है, उतना ही गेंद के बिना भी खेला जाता है और विदाउट-द-बॉल लो-ब्लॉक की नीति बाज़ दफ़ों पर वैसी ही त्रासदियाँ रचती है, जैसी उसने बीती रात हंगारी के ख़िलाफ़ रची।
मैच के दौरान जर्मनी के खिलाड़ी जोशुआ किमिच गेंद को कंट्रोल करने की कोशिश में।
ग्रुप एफ़ के दूसरे मैच में जब फ्रांस और जर्मनी की टीमें आमने-सामने आईं तो दर्शकों की आँखें अचम्भे से स्तम्भित रह गई होंगी। दोनों टीमें प्रतिभावान सितारों से सजी थीं। पिच पर एक दर्जन से अधिक खिलाड़ी ऐसे थे, जिन्होंने बीते सालों में चैम्पियंस लीग का फ़ाइनल खेला है। ये टीमें आगे बढ़कर खेलती हैं, और हाई-डिफ़ेंस-लाइन रखने के कारण अपने पाले में बहुत सारा स्पेस ख़ाली भी छोड़ देती हैं, जो तेज़तर्रार धावक-फ़ारवर्डों को ललचाता है। जैसे कि कीलियन एमबाप्पे, जिसने बीती रात बहुत दौड़ लगाई और दिन का सबसे बेहतरीन गोल किया, अलबत्ता उसे ऑफ़साइड क़रार दे दिया गया। उसने एक गोल असिस्ट भी किया, और उसे भी निरस्त कर दिया गया। लेकिन फ्रांस की टीम पूरे समय जर्मनी पर हावी रही और उसने यह बतला दिया कि उसे टूर्नामेंट-फ़ेवरेट क्यों कहा जा रहा है।
वर्ष 2016 में फ्रांस ने यूरो कप का फ़ाइनल खेला था। अगर उस टीम की स्टार्टिंग इलेवन से मौजूदा टीम की तुलना करें तो बड़े रोचक निष्कर्ष सामने आते हैं। उस टीम में अंथुअन ग्रीज़मन सबसे बड़ा सितारा-फ़ॉरवर्ड था, जिसकी चमक इधर बीते पांच सालों में किंचित धूमिल हुई है और मंगलवार रात वह आक्रमण-पंक्ति से ज़्यादा रक्षापंक्ति में अधिक सक्रिय दिखलाई दिया।
एमबाप्पे और कान्ते जैसे खिलाड़ी उस टीम में शामिल नहीं थे, क्योंकि उनका उदय ही इन बीते पाँच सालों में हुआ है। इन्होंने फ्रांस की टीम का समूचा चेहरा ही बदल दिया है। 2016 की टीम में सेंटर फ़ॉरवर्ड ओलिवियर जिरू था, जबकि बीती रात करीम बेन्ज़ेमा स्ट्राइकर के रूप में मैदान में उतरा। बेन्ज़ेमा आज की तारीख़ में यूरोप के सर्वश्रेष्ठ स्ट्राइकरों में शुमार होता है और उसके महत्व का अभी समुचित मूल्यांकन नहीं हो सका है। बीते सीज़न में वो अकेला रीयल मैड्रिड की गाड़ी को खींचकर आख़िर तक ले गया था। मैच का इकलौता गोल पॉल पोग्बा के ब्रिलियंट प्री-असिस्ट पर हुआ। खेल के अंतिम मिनटों में उन्होंने ओस्मान देम्बेले को मैदान में उतारा। इस फ्रांसीसी टीम की बेंच भी इतनी मज़बूत है कि वह कई देशों की फ़र्स्ट-टीम को चुनौती दे सकती है।
टूर्नामेंट में शुमार सभी 24 टीमों ने एक-एक मैच खेल लिया है और पहले राउंड के मुक़ाबले पूरे हो चुके हैं। दो और राउंड के बाद हम नॉकआउट गेम्स के रोमांच की ओर बढ़ेंगे। टूर्नामेंट अब अपनी लय में स्थिर हो चुका है। उम्दा फ़ुटबॉल की दावत अनवरत जारी रहने वाली है।
Author: CG FIRST NEWS
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