सरपंच के जिद के आगे पूरा गांव हुआ नतमस्तक टूटेगा वर्षों पुराना परम्परा

रिपोर्ट–खिलेश साहू

धमतरी जिले के कुरुद विधानसभा के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत बोरझरा में विकास समिति के निवेदन और पंचों की सहमति को दरकिनार कर मंडाई नही करवाने सरपंच के हठ के आगे ग्रामीण नतमस्तक हो गए है।
पिछले तीन दशकों से गांव में रामायण प्रतियोगिता आयोजन के पश्चात मंडाई मिलन समारोह का आयोजन किया जाता रहा है परन्तु इस वर्ष सरपंच के द्वारा मंडई नही करवाने के तानाशाह फरमान से ग्रामीण अक्रोशित है।

मड़ई का स्वरूप यूं तो ऊपर से उत्साह से भरपूर होता है और हो- हल्लापूर्ण दिखाई देता है।परंतु मड़ई की ग्रामीण मान्यताएं इससे हटकर है! ऐसा माना जाता है की मड़ई के दिन गांवो में ग्रामीण देवी देवताओं का वास होता है।
शायद इसीलिए गांव में बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक अलग ही आत्मविश्वास से परिपूर्ण होते है।
मंडाई का आयोजन होने से गांव के डीह डोंगर में विराजमान देवी देवताओं का भी पूजा अर्चना किया जाता है जिससे गांव में खुशहाली आता है।
ग्रामीणों का कहना है की गांव की बेटी माई और रोजी-रोटी की तलाश में शहर गए लोगों के लिए यही एक अवसर होता है।जब वो इस समारोह के शामिल होने गांव आता है।
और मंडाई मिलन समारोह में पुराने दोस्तों से मुलाकात कर सुखद अनुभव प्राप्त करता है।
उपरोक्त कारणों से गांव में मंडाई का आयोजन प्रति वर्ष होता था परन्तु सरपंच महेंद्र कुमार के हठधर्मिता के आगे ग्रामीणों की एक न चला।

मंडाई नही करवाने का कारण जानकर चौंक जाएंगे आप

मंडाई नही करवाने के संबंध में सरपंच से बात करने पर उनका कहना है की मंडाई में आने वाले भारी-भरकम खर्च का रिकॉर्ड कैसे मैनेज करेंगे।उनका कहना है की उसके लिए उन्हें गलत तरीके से बील वाउचर लगाना पड़ेगा।
जिसका रिस्क वो नही लेना चाहते।
वैसे भी गांव में शिकायतों का दौर चल रहा है हर छोटी मोटी गलतियों पर षडयंत्र कर विभागीय शिकायत किया जाता है सूचना का अधिकार के तहत जानकारी मांगा जाता है।

इसके पूर्व भी उन्ही के कार्यकाल में आयोजित होता था मंडाई

महेंद्र कुमार साहू 2015 से लगातार सरपंच का ओहदा सम्हाले हुए है।पूर्व में उनके द्वारा इसी प्रकार बील वाउचर लगा कर मंडाई का खर्च वहन किया जाता रहा है।
यही कारण है की ग्रामीण अब भी सरपंच से उम्मीद लगाए बैठे है।

क्या कहना है ग्राम विकास समिति का..?

वहीं मंडाई नही करवाने को लेकर ग्राम विकास समिति का कहना है की सरपंच लकड़ी नीलामी,रेत नीलामी,तालाब नीलामी,गांव की मिट्टी को भी बेच कर पंचायत फंड में राशि रखता है।
लकड़ी का महज 25 प्रतिशत राशि ही ग्राम विकास समिति को प्राप्त होता है उक्त राशि सावनाही पूजा में खर्च हो जाता है।ऐसे में नीलामी से प्राप्त सम्पूर्ण राशि का उपयोग मंडाई आयोजित करने में किया जाना चाहिए।
या फिर इस आय को ग्रामवासियों को सौप देना चाहिए जिससे गांव के विभिन्न कार्य सरलता से हो सके।

इस पूरे घटनाक्रम में गौर करें तो गांव में शह-मात का खेल चल रहा है।बहरहाल इस वर्चस्व की लड़ाई में जीत चाहे जिसका भी हो!परन्तु हारेगा पूरा गांव।

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