
हनी बैजर देखने में इस तरह का होता है।
छत्तीसगढ़ में अब बेहद कम दिखने वाला हनी बैजर मिला है। इसमें यह क्षमता होती है कि यदि उसे किसी कमरे में बंद कर दिया जाए तो वह खुद कुंडी खोलकर निकल सकता है। इसके अलावा यह नाखूनों से 20 से 30 फीट तक सुरंग खोद सकता है। इसे बेहद निर्भीक जानवर कहा जाता है।
इस जानवर का नाम हनी बैजर है। इसे कबरबिज्जु भी कहा जाता है। जिसे कांकेर जिले के दुधावा वन परिक्षेत्र के कोटलभट्ठी गांव में लोगों ने सड़क किनारे देखा था। जिसके बाद वन विभाग को इसकी सूचना दी गई थी। अब वन विभाग ने जानवर को अपने कब्जे में लिया है और उसकी देखभाल की जा रही है।

कांकेर में पहली बार देखा गया है।
विलुप्त हो रहे जानवरों की श्रेणी में
वन विभाग के मुताबिक हनी बैजर पहली बार कांकेर में देखा गया है। बताया गया है कि इस जीव की संख्या डेढ़ दशक में तेजी से कम होते जा रही है। यही वजह है कि इसे विलुप्त वन्यजीवों की श्रेणी में रखा गया है। हनी बैजर का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में मोस्ट फियरलेस क्रीचर के नाम से शामिल है। ये स्वभाव में बेहद खूंखार, बुद्धिमान और चालाक होता है। हनी बैजर अपना घर नहीं बनाता है, यह तो सियार और लोमड़ी के घरों पर कब्जा करता है। इसके पैरों पर नुकीले और मजबूत नाखून होते हैं।

लोगों ने हनी बैजर को देखकर पकड़ लिया था।
हनी बैजर के बारे में कहा जाता है कि यदि इसी किसी कमरे में बंद कर दिया जाए तो यह दरवाजे की कुंडी खोलकर, पत्थर, मिट्टी या डंडा दीवार से लगाकर उस पर चढ़कर भाग जाता है। ये जमीन खोदकर सुरंग बनाकर भी निकल भागता है। यह पहले परिस्थिति समझता है और फिर निकल भागने के लिए प्लानिंग करता है। कांकेर का कोटलभट्टी इलाका कांकेर, कोंडागांव और धमतरी जिला के अंतर्गत आता है। पास में सीतानदी अभयारण्य होने से उधर से ही इस जानवर के आने की संभावना जताई जा रही है।

Author: CG FIRST NEWS
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