स्पॉट फिक्सिंग में फंसे पूर्व क्रिकेटर और राइट आर्म फास्ट बॉलर टीपी सुधींद्र ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपने ऊपर लगे आजीवन बैन को हटाने की मांग की है। स्पॉट फिक्सिंग में नाम आने के बाद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने 2012 में सुधींद्र पर आजीवन बैन लगा दिया था। सुधींद्र ने अपनी याचिका में कहा है कि जिस तरह सुप्रीम कोर्ट ने श्रीसंत के ऊपर लगे आजीवन बैन को हटा कर उन्हें राहत दी थी, उसी तरह छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय भी उनके ऊपर लगे आजीवन बैन को हटा दे। उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने BCCI को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
नो बॉल फेंकने के एवज में मांगे थे 40 हजार रूपए
मध्यप्रदेश, दिल्ली और आईपीएल में डेक्कन चार्जर के लिए खेल चुके राइट आर्म फास्ट बॉलर टीपी सुधींद्र को 2012 में एक निजी टीवी चैनल ने अपने स्टिंग ऑपरेशन में नो बॉल फेंकने के लिए 40 हजार रुपए की डिमांड करते हुए दिखाया था। BCCI ने जांच के बाद सुधींद्र सहित चार अन्य खिलाड़ियों पर बैन लगा दिया था। इसमें सुधींद्र के ऊपर BCCI ने आजीवन बैन लगाया था।
क्या है पूरा मामला
साल 2012 में मध्य प्रदेश प्रीमियम लीग टी 20 टूर्नामेंट आयोजित किया गया था। इसे इंदौर डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन ने आयोजित कराया था। इसी लीग में रीवा और सागर के बीच मैच होना था। इस मैच को लेकर एक निजी टीवी चैनल ने एक स्टिंग ऑपरेशन किया। इस स्टिंग ऑपरेशन में सुधींद्र नो बॉल फेंकने के एवज में 40 हजार रुपए मांगते हुए दिखाया गया।
शानदार क्रिकेटर थे सुधींद्र, भारतीय क्रिकेट टीम का बन सकते थे हिस्सा
सुधींद्र का जन्म आंध्र प्रदेश के हिंदूपुर में मध्यम वर्ग परिवार में हुआ था। उनका परिवार वर्तमान में भिलाई, छत्तीसगढ़ में रहता है। अपने शुरुआती दिनों में सुधींद्र बैटिंग करते थे, लेकिन बाद में अपने कोच की सलाह पर उन्होंने गेंदबाजी करना शुरू कर दिया। वे छत्तीसगढ़ की स्टेट टीम के लिए चुने गए। सुधींद्र को 2003 में एमपी अंडर -22 के लिए चुना गया। इस स्तर पर सुधींद्र के शानदार प्रदर्शन के बाद, 2005 में एमपी की सीनियर टीम में उन्हें शामिल कर लिया गया।
सुधींद्र ने 2005 में इंदौर में झारखंड के खिलाफ प्रथम श्रेणी में शुरुआत की। उन्होंने 27 प्रथम श्रेणी के खेल खेले, जिसमें रणजी ट्रॉफी में मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया। 2009 में घरेलू क्रिकेट में लौटने के बाद, सुधींद्र ने 2010-11 सीजन में रणजी ट्रॉफी में 25 विकेट लिए। उनका प्रदर्शन मध्य प्रदेश को रणजी ट्रॉफी के एलीट डिवीजन के नॉकआउट चरण में 2011-12 के सत्र में ले गया। वह उस सीजन के लिए 18.70 के औसत से 40 विकेट के साथ नंबर वन विकेट लेने वाले थे।
सजा कम होने से क्या मिलेगा फायदा
फिलहाल 37 साल के सुधींद्र पर BCCI ने आजीवन बैन लगा रखा है। उन्हें BCCI या फिर ICC की किसी संबंधित इकाई द्वारा संचालित या अधिकृत किसी भी क्रिकेट मैच में खेलने पर रोक लगी है। इसके अलावा वह BCCI से जुड़े किसी भी संघ में किसी भी पद पर आसीन नही हो सकते। क्रिकेट खेलने के लिहाज से उनकी उम्र काफी हो गई है, लेकिन यदि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट उनकी सजा को कम कर देता है तो वह आने वाले समय में किसी घरेलू क्रिकेट टीम के कोच बन सकते हैं।
Author: CG FIRST NEWS
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