कोरोना के 16 माह के बीच में जहां कई दुकानें खुली वहीं कई बंद भी हो गईं। सबसे ज्यादा 278 दवा दुकानें खुली तो 9 निजी अस्पताल, 11 क्लिनिक और दो लैब खुले। वहीं 9 निजी स्कूलों में ताला लग गया। हालांकि 8 शासकीय अंग्रेजी स्कूल खुले भी। इस बीच जिले में 12 उद्योग भी स्थापित हुए जिसमें 6 तो चावल से जुड़े उद्योग हैं। वहीं 16 माह में 1417 नए अधिवक्ता भी बने।
इधर निजी स्कूलों के साथ ही बड़ी संख्या में छोटी-छोटी दुकानों के बंद होने का पता चला है। अनुमान है कि अकेले शहर में ही ऐसी 100 से ज्यादा दुकानें आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से लोगों ने बंद कर दी। कोरोना भले ही अभी उतने भयानक रूप में नहीं है लेकिन इसने पूरे जन जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया। यहीं कारण है कि इसका न केवल स्वास्थ्य बल्कि जीवन के सभी हिस्सों पर असर पड़ा। रोजी, रोटी, रोजगार, दुकान, संस्थान और व्यवसाय कोरोना से अछूते नहीं रहे। दैनिक भास्कर ने कोरोना से प्रभावित क्षेत्रों की पड़ताल की तो कई तरह की बातें सामने आई। कोरोना ने जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित किया। खासतौर पर व्यापार के हर क्षेत्र को बदलकर रख दिया। कोविड के 16 माह के भीतर जहां हेल्थ सेक्टर से जुड़े व्यापार जहां बढ़े वहीं शैक्षक्षिक संस्थान बंद भी हुए। छोटी दुकान चलाने वाले या छोटा-मोटा धंधा करने वालों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। हालांकि 12 नए उद्योग स्थापित भी हुए। पढ़िए पूरी रिपोर्ट-
दवाइयों की थी मारामारी, इसलिए खोल ली दुकानें
कोरोना काल में स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी बढ़ोतरी हुई है। पिछले डेढ़ साल में बिलासपुर जिले में 278 दवाई दुकानों को लाइसेंस दिए गए। 9 निजी अस्पताल, 11 क्लिनिक और दो लैब भी खुले। स्वास्थ्य सुविधाएं इसलिए बढ़ी क्योंकि हर तरफ दवाइयों से लेकर इलाज के लिए 24 घंटे मारामारी मची थी। सब कुछ बंद था लेकिन हेल्थ पूरी तरह खुला था। सक्षम लोगों ने आपदा में अवसर तलाशा और नया व्यापार शुरू किया। हालांकि यह बिलासपुर के लिए अच्छी बात है कि लोगों के लिए 9 निजी अस्पतालों में 185 बिस्तर के साथ लैब और क्लिनिक की सुविधाएं मिलेंगी। वर्तमान में 136 हॉस्पिटल सहित 502 निजी स्वास्थ्य संस्थाएं हैं।
12 उद्योग स्थापित बंद एक भी नहीं
शकुंतला फूड, सोहम इंडस्ट्री, कृष्णा इंडस्ट्री, साहू इंडस्ट्री, शिवशंकर राइस प्रोडक्ट, ओम राइस मिल, डिलाइट फूड, नारायण राइस इंडस्ट्रीज, बंसल चावल उद्योग, श्याम सुंदर एग्रो, दिशा इंडस्ट्रीज, अनमोल इंडस्ट्रीज सहित 12 उद्योग जिले तिफरा, सिरगिट्टी, निपनिया, मोपका, जयरामनगर, करगीखुर्द आदि में स्थापित हुए। वहीं उद्योग विभाग के अधिकारियों के मुताबिक 1095 करोड़ रुपए का निवेश किया गया। वहीं उद्योग विभाग के अधिकारियों के मुताबिक एक भी उद्योग 2020-21 में बंद नहीं हुए। इधर लघु एवं मध्यम उद्योग संघ के प्रदेश अध्यक्ष हरीश केडिया का भी यहीं कहना है कि उनके पास पूरी तरह बंद होने वाले उद्योगों को लेकर कोई जानकारी नहीं है।
खर्च नहीं निकला इसलिए बंद हुए स्कूल
वर्ष 2020 से जुलाई 2021 तक जिले के 9 निजी स्कूल बंद हुए। इनके बंद होने का मुख्य कारण है ऑफलाइन पढ़ाई पूरी तरह बंद रहना रहा। स्कूल, कॉलेज से लेकर हर तरफ स्टूडेंट्स ऑनलाइन पढ़ाई में उलझे रहे। इनकम कम हुई और निजी स्कूलों का खर्च नहीं निकल पाया जिसके कारण संस्थान बंद करने पड़े। वहीं बंद होने वाले निजी स्कूलों के 1400 बच्चों को दूसरे स्कूलों का दरवाजा खटखटाना पड़ा। सरकारी और निजी मिलाकर वर्तमान में 2464 प्राइमरी, मीडिल, हाई और हायर सेकंडरी स्कूल हैं। इन स्कूलों में तीन लाख 93 हजार 433 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। दो लाख 55 हजार 399 सरकारी और एक लाख 38 हजार 40 बच्चे निजी स्कूल में पढ़ रहे हैं।
50 से अधिक पोल्ट्री फार्म बंद, कुछ पार्टनरशिप में
कोरोना काल के 15 महीनों में पोल्ट्री का व्यवसाय बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। इस दौरान 90 से अधिक फार्म बंद हो गए थे। इनमें से 40 के लगभग फार्म के मालिकों ने चूजा कंपनियों के साथ पार्टनरशिप में काम शुरू कर दिया है। कुछ और ने शुरू किया था लेकिन दाने का दाम बढ़ने से कुछ ने अपने फार्म में आधी तैयार मुर्गियां ही बेच दी। सिमरम कंपनी के बिलासपुर क्षेत्र प्रभारी नईमुर्रहमान ने बताया कि पोल्ट्री इंडस्ट्री इन दिनों काफी प्रभावित है। लोग अब पार्टनरशिप में ही काम करना चाह हैं। 30 से अधिक छोटे फार्मर ने तो पोल्ट्री बंद ही कर दिया है। दाने के दाम बढ़ रहे हैं इससे और व्यवसाय प्रभावित हो रहा है।
Author: CG FIRST NEWS
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