रायपुर – मानसून के आते ही मौसम खुशनुमा हो जाता है और ऐसे में लोगों अक्सर अपनी फैमिली के साथ वीकेंड पर बाहर जाने का प्लान बनाते है। पर परेशानी तब होती है जब अचानक प्लान बन जाए और आप अपने पसंद का जगह का चयन नही कर पाते है। तो आज हम आपकी मदद करते हैं,हम आपको बताने जा रहे हैं छत्तीसगढ़ के कुछऐसे जगहों के बारे में जहां मानसून के वक्त आप अपनी फैमिली के साथ प्राकृतिक की सौंदर्यता का आनंद ले सकते हैं
चित्रकोट – छत्तीसगढ़ का चित्रकोट भी बेहद सुंदर पर्यटन स्थल माना जाता है. चित्रकोट में स्थित जलप्रपात को छत्तीसगढ़ का नाइग्रा फाल कहा जाता है. यह छत्तीसगढ़ का सबसे चौड़ा झरना है. जो जगदलपुर से 38 किलोमीटर दूर घने जंगलों के बीच देखने को मिलता है. बारिश के मौसम में इस जगह को धरती का स्वर्ग तक कहा जाता है. ऐसे में अगर आप कही घूमने का प्लान बना रहे हैं तो छत्तीसगढ़ के चित्रकोट जाने में देर मत कीजिए.
भोरमदेव – अगर आप नेचर लवर हैं तो आपके लिए दुसरी सबसे अच्छी जगह है भोरमदेव। छत्तीसगढ़ का खजूराहो कहा जाने वाला भोरमदेव मंदिर चारो ओर पहाड़ो और घने जंगलों से घिरा हुआ है। यह मंदिर कवर्धा से 18 किमी दूर मैकाल पर्वत श्रेणी और प्रकृति की सुंदरता के बीच बसा है।
मानसून के समय पहाड़ो और घने जंगल के बीच यह मंदिर अपनी अगल सुंदरता बिखेरता है। यहां मानसून के वक्त सैलानियों की संख्या बढ़ जाती है। भोरमदेव के अलावा यहां मंडवा महल व छेरकी महल भी देखने लायक स्थान है।
चिरमिरी – कोरिया जिले में स्थित चिरमिरी अपनी खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है, चिरमिरी का मौसम साल भर बेहद सुहाना और खुशनुमा रहता है, यहां के पुराने मंदिर और प्राकृतिक खूबसूरती पर्यटकों को अपना दीवाना बना देती है. चिरमिरी हिल स्टेशन के आसपास प्राकृतिक आकर्षण देखने को मिलते हैं. अगर आप किसी नई जगह पर जाने का प्लान बना रहे है तो चिरमिरी उसमें फरफेक्ट है. यहां आपको शानदार वातावरण, मानसून की हरियाली से लेकर सबकुछ मिल जाएगा. जबकि यह जगह फोटोग्राफी के शौकीनों को लिए भी बेहद खास होती है. ऐसे में अगर आप इस मानसून घूमने का प्लान बना रहे हैं तो आप छत्तीसगढ़ के इन जगहों पर आ सकते हैं.
जतमई-घटारानी – अगर हम मानसून में घूमने लायक पर्यटन स्थलों की बात कर रहें है और हम जतमई- घटारानी की बात न करें तो प्रकृति बुरा मान जाएगी। गरियाबंद रोड पर यह डेस्टिनेशन स्थित है। जहां जतमई पहाड़ी से गिरता नेचुरल वॉटरफाल आकर्षण का केन्द्र है। मानसून के शुरू होते ही यह झरना अपनी प्राकृतिक सुंदरता की छटा बिखेरने लगता है।
हर साल यहां मानसून के वक्त हजारों सैलानी उमड़ पड़ते हैं। झरने के अलावा जतगई माता का मंदिर यहां का आकर्षण का केन्द्र है। चारों ओर हरियाली और पहाडों के बीच बसा मंदिर बहुत ही खुबसुरत लगता है। यह रायपुर से 77 किमी की दूरी पर स्थित है।
मलांजकुडुम झरना – कांकेर के दक्षिण दिशा में 15 किलोमीटर दूर, एक छोटा पहाड़ है। इस पहाड़ पर नील गोंदी नामक एक जगह है जहां से दूध नदी अपना आकार लेती है। पर्वतारोहण पथ की 10 किलोमीटर की लंबाई पार करने के बाद वहां एक जगह है जहां मलांजकुडुम नाम से एक जगह है जहां से नदी का पानी तीन तरफ गिरती है, इन पानी की गिरावट की ऊंचाई क्रमशः 15 मीटर और 9 मीटर और 10 मीटर है। । इस पानी की गिरावट की ढलान एक की तरह होता है। इस पानी की गिरावट की लहरें बहुत आकर्षक और चुनौतीपूर्ण है। यह जगह यात्रा के लिए बहुत अच्छी है। यह पानी गिरना छात्रों, शिक्षकों, नेताओं और कलाकारों और अधिकारियों में बहुत लोकप्रिय है। यह पिकनिक के लिए एक आदर्श जगह है। सड़क इस जगह तक पहुंचने के लिए उपलब्ध है।
गढ़िया पहाड़,कांकेर
कांकेर से लगे गढ़िया पहाड़ का इतिहास हजारों साल पुराना है। जमीन से करीब 660 फीट ऊंचे इस पहाड़ पर सोनई-रुपई नाम का एक तालाब है जिसका पानी कभी नहीं सूखता है। इस तालाब की एक खासियत यह भी है कि सुबह और शाम के वक्त इसका आधा पानी सोने और आधा चांदी की तरह चमकता है।
जानिए क्या है इस तालाब की कहानी
गढ़िया पहाड़ पर करीब 700 साल पहले धर्मदेव कंड्रा नाम के एक राजा का किला हुआ करता था। राजा ने ही यहां पर तालाब का निर्माण करवाया था। धर्मदेव की सोनई और रुपई नाम की दो बेटियां थीं। वो दोनों इसी तालाब के आसपास खेला करती थीं, एक दिन दोनों तालाब में डूब गईं। तब से यह माना जाता है सोनई-रुपई की आत्माएं इस तालाब की रक्षा करती हैं इसलिए इसका पानी कभी नहीं सूखता। पानी का सोने-चांदी की तरह चमकना सोनई-रुपई के यहां मौजूद होने की निशानी के रूप में देखा जाता है।
Author: CG FIRST NEWS
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