कांकेर :- केंद्र सरकार के वित्त मंत्री द्वारा आज संसद में पेश किए बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राजमिस्त्री मजदूर रेजा कुली एकता यूनियन के राज्य कार्यकारी अध्यक्ष सुखरंजन नंदी और राज्य उपाध्यक्ष नजीब कुरैशी ने बताया कि यह बजट दिशाहीन एवम निराशाजनक है।इस बजट में आम जनता की बुनियादी समस्यों के समाधान के दिशा में कुछ भी नहीं है। बजट से ऐसा प्रतीत होता है जैसे मोदी सरकार को सिर्फ अपनी सत्ता को बचाए रखना ही एकमात्र उद्देश्य है।
मजदूर नेताओं ने कहा कि आज देश के युवाओं के सामने बेरोजगारी एक प्रमुख समस्या बनी हुई है,बेरोजगारी समस्या के समाधान के लिए नए रोजगार सृजन की कोई भी बातें इस बजट में दिखाई नहीं पड़ती है।सिर्फ शिक्षित युवाओं को प्रशिक्षण देने की बातें कही गई है। सरकारी विभागों के रिक्त पदों की भर्ती या सार्वजनिक उद्योगों में रोजगार की बातें नहीं है।
कल संसद में पेश आर्थिक सर्वे ने देश में बेरोजगारी की इस भयंकर स्थिति का जिक्र करते हुए कहा गया कि आज महाविद्यालयों से उत्तीर्ण होने वाले हर दो युवाओं में एक युवा के पास कोई रोजगार नहीं है। देश में इस भीषण बेरोजगारी का दंश झेल रहे लोग आज मनरेगा में अपना नाम पंजीयन कर काम की मांग कर रहे है लेकिन वित्त मंत्री के बजट में मनरेगा का कोई जिक्र ही नहीं है।
नेताद्वय ने कहा कि आयकर के स्लैब में परिवर्तन कर कर्मचारियों और मध्यमवर्ग के खुश करने का प्रयास दरअसल आंखों में धूल झोंकना है क्यों कि हमारे देश में सबसे अधिक कर गरीब और मध्यमवर्ग के लोग ही अदा करते है।कॉरपोरेट घराने से अधिक करो की वसूली की कोई इच्छा सरकार की नहीं है। आज देश में आवश्यक वस्तुओं की कीमत आसमान छू रही है इस महंगाई पर लगाम लगाने की कोई प्रावधान इस बजट में नहीं है। गौर तलब बात यह है कि आज हमारे देश में शिक्षा और स्वास्थ मद पर सकल घरेलू उत्पाद के सिर्फ 4.3,%राशि ही खर्च किया जाता है अगर देश के सबसे अधिक धनी वर्ग जो आबादी का 0.04%है,सिर्फ उनके करों में मामूली सी वृद्धि कर दिया जाए तो शिक्षा और स्वास्थ्य मद पर सरकार दोगुना अधिक खर्च कर सकती है।दुनिया के सभी विकसित देशों में अति धनाढ्य वर्ग पर उत्तराधिकार कर का प्रावधान है सरकार अगर अपनी बजट घाटा को कम करना चाहती तो देश के उन लोगो पर जिनकी संपत्ति 100 करोड़ से अधिक है उन पर संपत्ति हस्तांतरण कर लगाकर पैसा वसूल कर सकती है,लेकिन सरकार उस दिशा में जाने को तैयार नहीं है।
उन्होंने ने उदहारण देते हुए कहा कि खुद अमरीका में धनाढ्य वर्ग के संपत्ति हस्तांतरण कर की दर 40 प्रतिशत,जापान में यह दर 55 प्रतिशत,दक्षिण कोरिया में यह दर 50 प्रतिशत है।लेकिन हमारे देश में धनाढ्य वर्ग जिनके संपत्ति 100 करोड़ से अधिक है उनके संपत्ति हस्तांतरण के कोई कर का प्रावधान नहीं है।जबकि अंतरराष्ट्रीय असमानता लैब ने देश की आर्थिक असमानता को कम करने के लिए 100 करोड़ की संपत्ति हस्तांतरण पर महज 4 प्रतिशत की कर लगाकर सरकार अपनी राजस्व बड़ा सकती है।लेकिन बजट में उन पर कोई कर न लगाकर उन्हें भारी राहत दी है।उनको दिए गए इस भारी राहत को छिपाने के लिए माध्यम वर्ग और कर्मचारियों की स्लेब में परिवर्तन कर राहत देने का ढिंढोरा पीटा जा रहा है।
यूनियन नेता ने कहा कि छत्तीसगढ़ जैसे आदिवासी बहुल राज्य में आदिवासी और दलितों के सब प्लान में कोई राशि का जिक्र बजट में नही होना सरकार की दलित आदिवासी विरोधी चेहरा को ही उजागर करता है।आदिवासी और दलितों के सब प्लान की राशि समाज के इन पिछड़े तबकों के विकास के कार्य में खर्च किया जाता रहा है लेकिन बजट में इस मद का कोई जिक्र नहीं होना उनके विकास कार्यों में प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
उन्होंने जनता से केंद्रीय बजट के खिलाफ अभियान चलाने और विरोध कार्यवाही आयोजित करने का भी आव्हान किया है।
Author: CG FIRST NEWS
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