गरियाबंद :- ग्रामीण क्षेत्रों में झोलाछाप डॉक्टरों का नेटवर्क आज भी बेधड़क चल रहा है, जहां बिना लाइसेंस और कानूनी मान्यता के लोग अस्पताल चला रहे हैं। इसी तरह का एक चौंकाने वाला मामला गरियाबंद जिले के देवभोग तहसील के ग्राम डोंगरीगुड़ा में सामने आया। धान के अवैध भंडारण की जांच के लिए पहुंचे प्रशासनिक अमले को एक मकान में बिना लाइसेंस के संचालित अस्पताल मिला। इस मामले का खुलासा तब हुआ जब तहसीलदार चितेश देवांगन धान की जब्ती के लिए क्षेत्र में निरीक्षण कर रहे थे।
जांच के दौरान तहसीलदार ने पाया कि मकान मालिक हेमलाल नागेश अपने घर में तीन कमरों का अवैध क्लिनिक चला रहा था। जब तहसीलदार ने हेमलाल से पूछताछ की, तो वह टालमटोल करने लगा और बाद में मौका पाकर वहां से भाग खड़ा हुआ। इस अवैध अस्पताल में गर्भपात की प्रतिबंधित दवाएं और प्रेगनेंसी जांच किट समेत करीब एक लाख रुपए मूल्य की दवाएं मिलीं। इसके अलावा, माइक्रोस्कोप, बीपी, शुगर जांच की मशीनें और अन्य चिकित्सा उपकरण भी मिले। बीएमओ और पुलिस की उपस्थिति में अस्पताल वाले मकान को सील कर दिया गया।
कार्रवाई में प्रशासन की पोल खुली
गौरतलब है कि दो महीने पहले कलेक्टर ने अनुविभाग प्रशासन को अवैध क्लिनिकों की जांच कर उन पर कार्रवाई की जिम्मेदारी दी थी। एसडीएम तुलसीदास के नेतृत्व में अगस्त और सितंबर में दो अवैध क्लिनिकों को सील किया गया था। इसके बाद जिला प्रशासन ने दावा किया था कि क्षेत्र में अवैध क्लिनिकों पर नियंत्रण पाया जा चुका है। हालांकि, वास्तविकता यह है कि अब भी 20 से अधिक अवैध क्लिनिक क्षेत्र में सक्रिय हैं, जिससे प्रशासन की कार्यवाही पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
Author: CG FIRST NEWS
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