नवरात्र को लेकर जारी हुई गाइड लाइन पर उठ रहे सवाल; पुजारी बोले- होटल, मॉल, रेस्टोरेंट खुल रहे तो भोग बांटने से कैसे फैलेगा कोरोना?

सावधानियां जरूरी पर नियमों के साथ भाेग वितरण कराया जाए

नवरात्रि का पर्व 7 अक्टूबर से शुरू हो रहा है। इस बार 8 दिन की नवरात्रि है। मां की प्रतिमाओं को अंतिम रूप दिया जा रहा है। समितियों द्वारा पंडाल सहित अन्य कार्य कराए जा रहे हैं। ऐसे में जिला प्रशासन ने दुर्गा पूजा को लेकर गाइड लाइन जारी की है।

इसमें चरणामृत, प्रसाद वितरण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। वहीं मनोकामना ज्योति का दर्शन भी लोग नहीं कर पाएंगे। इन आदेशों को लेकर मंदिर के पुजारियों, समितियों और लोगों का कहना है कि शराब दुकानें खुल गई हैं। होटल, रेस्टोरेंट, व्यवसायिक संस्थान खुल गए हैं। यहां हर दिन लोगों की भीड़ लग रही है। लोगो व संस्थानों द्वारा सावधानियां भी बरती जा रही हैं। इसी तरह जिला प्रशासन की जो गाइड लाइन है, उसका पालन मंदिर व समितियों द्वारा किया जाएगा, लेकिन भोग और ज्योति दर्शन पर प्रतिबंध लगाना गलत है। सावधानियों के साथ समिति और मंदिरों में भोग वितरण के साथ ज्योति दर्शन कराया जा सकता है। इस पर शासन को फिर से ध्यान देना चाहिए। आई तुलजा भवानी मंदिर, कुदुदंड के पुजारी राजू तिवारी ने कहा कि केवल भोग वितरण पर प्रतिबंध लगाना अनुचित है।

यदि शासन को प्रतिबंध लगाना है तो सभी जगहों जैसे शराब दुकानें, होटल इत्यादि पर भी प्रतिबंध लगाए। दुर्गा मंदिर, जरहाभाठा के पुजारी ईश्वर प्रसाद पांडे ने कहा कि भक्त मनोकामना ज्योति जलवा सकते हैं, लेकिन उसका दर्शन नहीं कर सकते। यह गलत है। उन्होंने आगे कहा कि यदि शासन को ऐसा आदेश जारी करना था तो उन्हें मनोकामना ज्योति जलाने की भी अनुमति नहीं देनी थी। मरीमाई मंदिर मगरपारा के अध्यक्ष उमाशंकर जायसवाल ने कहा कि नवरात्रि का पर्व हिंदुओं का एक बड़ा पर्व है। उन्होंने गाइडलाइन को हिंदू विरोधी बताते हुए कहा कि ज्योति दर्शन व भोग वितरण पर रोक हिंदू धर्म पर आघात के समान है। काली मंदिर तिफरा के सेवादार दिलीप साहू ने कहा कि शासन ने आदेश देर से जारी किया। साथ ही ऐसा आदेश जारी किया है, जिससे ऐसा लग रहा है कि लोग पर्व ही ना मनाएं। मनोकामना ज्योति दर्शन व भंडारे के आयोजन पर रोक का आदेश अनुचित है।

सभाओं पर भी रोक लगे, पूरी तैयारी के बाद जारी हो निर्देश
समितियों ने कहा कि शासन को पहले ही गाइड लाइन जारी करनी थी, जब पूरी तैयारी हो गई है तो यह जारी की गई है। नवयुवक दुर्गा उत्सव समिति, मसानगंज के सदस्य मंटू दीक्षित ने कहा कि यदि भोग वितरण पर रोक है तो रैली व नेता के सभाओं पर रोक क्यों नहीं है। मध्य नगरी दुर्गा उत्सव समिति के कोषाध्यक्ष आशीष ने कहा कि शासन ने जिस तरह देरी से पंडाल व प्रतिमा का आकार तय किया, वह अनुचित है। नवयुवक दुर्गोत्सव समिति गोल बाजार के अध्यक्ष राहुल साहू ने पंडाल के आकार व भोग वितरण न करने के शासन के आदेश को अनुचित ठहराया और कहा कि शासन को 2 महीना पहले गाइडलाइन जारी करना था। बंधु मंडल दुर्गोत्सव समिति, गोंड़पारा के कोषाध्यक्ष गोलू ने कहा कि शासन ने गाइडलाइन तब जारी किया जब पंडाल व प्रतिमाओं को अंतिम रूप दिया जा रहा है। आदेश 2 से 3 महीने पहले जारी किया जाना था। भोग वितरण पर रोक का आदेश अनुचित है।

जानिए, भोग का महत्व
बंगाली विधि से पूजा कराने वाले पं. अमित चक्रवर्ती ने बताया कि मां की पूजा-अर्चना के साथ भोग का सबसे अधिक महत्व होता है। बिना भोग के पूजा पूर्ण नहीं हो सकती है और यह भोग भक्तों के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि मां का आर्शीवाद इस रूप में भक्तों को मिलता है। मां के प्रसाद का असर भक्त के मन, दिमाग, दिल, स्वास्थ्य पर होता है।

शांति समिति की बैठक में निर्णय लिया है
कलेक्टर डॉ. सारांश मित्तर ने कहा कि सभी निर्णय शांति समिति, पुलिस प्रशासन, जिला प्रशासन की बैठक कर लिया गया है। गाइडलाइन सही है। कहीं भी भीड़ एकत्रित नहीं की जा सकती है।

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Author: CG FIRST NEWS

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