अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन पद संभालने के बाद आज पहली बार रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से मुलाकात करेंगे। यह बातचीत स्विटजरलैंड के जिनेवा शहर की दिलकश वादियों में होगी। इसके लिए जो जगह तय की गई है, वो न सिर्फ ऐतिहासिक है, बल्कि कुदरत ने उस पर अपनी भरपूर मोहब्बत बरसाई है। इसका नाम है ‘विला ला ग्रेंज’। यह 17वीं सदी में बनी। दुनियाभर के टूरिस्ट इसकी एक झलक पाने के लिए बेसब्र हो उठते हैं। तो चलिए सियासत और कूटनीतिक दावपेंचों से इतर हम आपको इस विला की रूमानियत से रूबरू कराते हैं।
कुछ पीछे चलें: स्विटजरलैंड का जिनेवा क्यों खास?
पिछले बुधवार को ही जिनेवा की अथॉरिटीज को यह जानकारी दी गई कि पुतिन और बाइडेन इसी विला में मुलाकात करेंगे। स्विस पुलिस और आर्मी ने पूरे इलाके को कंट्रोल में ले लिया। विला के आसपास दो बड़े पार्क हैं। यहां अक्सर काफी लोग आते हैं। फिलहाल, ये दोनों आम जनता के लिए बंद कर दिए गए हैं।
2014 में जब रूस ने क्रीमिया पर कब्जा किया तो पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए, लेकिन स्विटजरलैंड ने ऐसा नहीं किया। अल्पाइन पर्वतमाला से घिरे इस देश के रूस और अमेरिका दोनों से गहरे दोस्ताना रिश्ते हैं।
इतिहास की बात
- 1985 शीत युद्ध का दौर था। अमेरिका और रूस जंग की तरफ बढ़ रहे थे, तब दुनिया को तबाही से बचाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन और अविभाजित सोवियत संघ के राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव की मुलाकात इसी जिनेवा शहर की हसीन वादियों में हुई थी। एटमी हथियार कम करने पर पहली बार सहमति बनी थी।
- 2009 में अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन और रूस के फॉरेन मिनिस्टर सर्गेई लेवरोव की बातचीत इसी शहर में हुई थी। तब हिलेरी ने लेवरोव को एक यलो बॉक्स गिफ्ट किया था। संदेश था- चलिए नई शुरुआत करते हैं। हालांकि रूस का जवाब बहुत गर्मजोशी भरा नहीं था। दोनों देशों में तनाव कम नहीं हो सका।
- पहला जिनेवा कन्वेंशन यहीं आयोजित किया गया था। 1969 में पोप पॉल भी यहां आए थे और 70 हजार लोगों को संबोधित किया था। कहा था- प्रकृति की बात सुनिए। ये हमें प्यार और सद्भाव से रहने की सीख देती है। शांति कमजोरी नहीं, शक्ति का प्रतीक है।
कैसी है विला?
18वीं सदी में बनी यह तीन मंजिला विला ऐतिहासिक वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है। इसके बाईं तरफ कंचन जल वाली जिनेवा नहर बहती है। आसपास रेडवुड के आसमान से बातें करते पेड़ हैं। गुलाब इतने और इतने प्रकार कि बस पूछिए मत। यहां के लोग इस जगह को ‘गुलाबों का जंगल’ भी कहते हैं। करीब 450 साल पुराने फव्वारे यानी फाउंटेन्स आज भी अपनी फुहारों से तन-मन खुश कर देते हैं। 20 हेक्टेयर में दो बड़े पार्क हैं। इनकी बनावट ऐसी है कि ढलान नहर की तरफ जाती है। यहां फर्नीचर हो या लाइब्रेरी, सब वैसा का वैसा है, जैसा शुरुआत में रहा होगा। लाइब्रेरी में 15 हजार किताबें हैं। गेट पर पत्थरों को तराशकर दो शेर बनाए गए हैं। रिसेप्शन के अलावा 12 बेडरूम्स हैं। ‘रोज गार्डन’ या दोनों पार्कों में पौधों या बाकी चीजों की देखभाल के लिए किसी केमिकल का प्रयोग नहीं किया जाता।
Author: CG FIRST NEWS
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