
दल्लीराजहरा में भाजपा को फिर एक बार निराशा का सामना करना पड़ा , कार्यकर्ता और शीर्ष नेतृत्व के बीच नहीं बैठ रही सुर ताल
जल्दबाजी में लिया गया फैसला गलत साबित हुआ
नगरवासियों में चर्चा ,भाजपा के इस बिना रणनीति के कृत्य और मनमानी से, लोकसभा चुनाव में हो सकता है नुकसान
दल्लीराजहरा – छत्तीसगढ़ राज्य में भाजपा की सरकार बने महज ढाई माह हुए हैं। जिसमे नगर पालिका परिषद दल्लीराजहरा में विगत 4 वर्षो से अध्यक्ष पद में काबिज कांग्रेस के शीबू नायर के विरुद्ध भाजपा के पदाधिकारियों ने अविश्वास प्रस्ताव लाने का जोर शोर प्रयाश किया था। जिसकी कड़ी दर कड़ी विगत 6 माह से जुड़ रही थी। परन्तु भाजपा के मंडल अध्यक्ष राकेश दिवेदी और नगर पालिका उपाध्यक्ष संतोष देवांगन द्वारा पार्टी के प्रदेश स्तरीय पदाधिकारियों की बात न सुनते हुए अपने मनमानी के चलते बिना रणनीति बालोद जिला कलेक्ट्रेट में महज 11 पार्षदों के साथ अविश्वास प्रस्ताव हेतु आवेदन किया गया था। जिसमे बालोद कलेक्टर द्वारा 19 फरवरी की तिथि तय करके स्थानीय एसडीएम को अविश्वास प्रस्ताव हेतु चुनाव संम्पन कराने की जिम्मेदारी दी गई। जिसमें कुल 27 वार्ड पार्षदों में भाजपा को महज 11 मत मिले जबकिं कांग्रेस को 11 मत एवम वार्ड क्रमांक 23 व 8 के पार्षद बाहर होने की वजह से अपना मत का प्रयोग नही कर पाए तो वही किये गए 3 मत को गलत माना गया और खारिज किया गया। जबकि ज्ञात हो कि नगर पालिका परिषद दल्लीराजहरा के चुनाव दिसम्बर 2023 में भाजपा को कुल 13 मत मिले थे जबकि भाजपा के दो पार्षद निर्दलीय चुनाव जीतकर आये थे इस प्रकार भाजपा के पास कुल 15 पार्षदों की संख्या मौजूद थी। जबकि वर्तमान समय मे भाजपा को महज 11 मत मिले। वही 4 पार्षदों में एक पार्षद ने अपने मत का प्रयोग नही किया तो 3 पार्षदों ने पुनः क्रॉस मतदान कर पार्टी को शर्मसार होने पर मजबूर कर दिया। और यह घटना पुनः दूसरी बार दोहराई गयी है। इसके पहले नगर पालिका के अध्यक्ष चुनाव 6 जनवरी 2020 में भाजपा को क्रॉस मतदान से हार का सामना करना पड़ा था। और पुनः वही गलती दोहराई गयी है। जिससे नगर की जनता में भाजपा पार्टी के इस कृत्य के प्रति नाराजगी दिखाई दे रही है।
जल्दबाजी, बिना रणनीति और मनमानी के चलते हुई भाजपा की हार
नगरवासियों में चर्चा का विषय यह बना हुआ है कि नगर पालिका परिषद दल्लीराजहरा में अध्यक्ष पद हेतु लाये गए अविश्वास प्रस्ताव में मंडल अध्यक्ष राकेश दिवेदी और नगर पालिका उपाध्यक्ष संतोष देवांगन द्वारा पार्टी के प्रदेश स्तरीय नेताओ की बात न मानते हुए अपनी मनमानी से जल्दबाजी और बिना किसी तैयारी के अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। जिसका खामियाजा पुनः क्रॉस मतदान के रूप में देखकर हार का सामना करना पड़ा है। नगर में यह भी चर्चा का विषय बना हुआ है कि स्थानीय भाजपा पार्टी के कार्यकर्ताओं में एकजुटता की कमी दिखाई दी है तथा आपसी रंजिश के चलते अविश्वास प्रस्ताव फेल हुआ है। नगरवासियों में ये चर्चा है कि क्या अब कभी भविष्य में नगर पालिका में भाजपा का अध्यक्ष स्थापित हो सकता है। और इस अविश्वास प्रस्ताव में हार का खामियाजा आगामी लोकसभा चुनाव में भी देखना पड़ सकता है।
