सुकमा जिले के नक्सल प्रभावित मिनपा गांव को तीन दशक बाद बिजली मिली है. (सांकेतिक तस्वीर)
सुकमा जिले के नक्सल बहुल क्षेत्र मिनपा गांव के ग्रामीण जो लगभग 3 दशकों से मुख्यधारा से कटे हुए थे. जहां पर सालों बाद अंधेरा छंटने जा रहा है. बिजली विभाग के साथ मिलकर सुरक्षा बल के जवान गांव तक बिजली पहुंचाने का काम कर रहे हैं. अभी तक मिनपा की पहचान बीते 4 दशकों से नक्सली इलाके के तौर पर रही है.
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के सुकमा (Sukma) जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र मिनपा वह गांव है, जहां सालों बाद अंधेरा छंटने जा रहा है. देश की आजादी के इस पर्व पर गांव को बिजली की सौगात मिलेगी. बिजली विभाग के साथ मिलकर सुरक्षा बल के जवान गांव तक बिजली पहुंचाने का काम कर रहे हैं. मिनपा की पहचान बीते 4 दशकों से नक्सल प्रभावित क्षेत्र के तौर पर रही है. लेकिन सुरक्षाबलों की कड़ी मेहनत का नतीजा हैं कि यहां पर भी सड़क और बिजली पहुंच चुकी है अब आगे गांव तक बिजली पहुंचा दी गई. इस इलाके के लिए आजादी का यह पर्व वास्तविक आजादी लेकर आ रहा है.
दरअसल, सुकमा जिले जिला मुख्यालय से करीब 70 किमी. दूर स्थित मिनपा गांव उस वक्त सुर्खियों में आया था. जब पिछले साल मार्च महीने में गश्त पर गए जवानों पर नक्सलियों ने घात लगाकर हमला कर दिया और इस हमले में 17 जवान शहीद हो गए थे. लेकिन उसके बाद सुरक्षाबलों ने लगातार उस इलाके में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई और मिनपा गांव के पास ही कैंप बनाए गए. बुकार्पाल से मिनपा पांच किमी. जाने के लिए घंटों लग जाते थे क्योंकि घना जंगल था, लेकिन अब कैंप तक सड़क बना दी गई. हालांकि अभी सड़क कच्ची है. लेकिन बारिश के बाद पक्की बना दी जाएगी. वहीं, कैंप खुलने के बाद वहां की तस्वीर बदल रही है. वहीं, गांव में सड़क पहुंचने के साथ अब धीरे-धीरे सारी मूलभूत सुविधाएं राशन, दुकान, स्कूल, आगंनबाड़ी पहुंचेगी और गांव वालों की समस्याएं दूर हो जाएगी.
सभी घरों में बांटे गए बिजली के बल्ब
इस दौरान सुकमा जिले के एसपी सुनील शर्मा ने बताया कि स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर लोगों के जीवन में रोशनी लाने के लिए सभी घरों में बल्ब बांटे गए हैं. उन्होंने कहा कि सालों बाद इस इलाके में विकास पहुंच रहा है. वहां पर कैंप स्थापित किए गए, उसके बाद उस इलाके में सड़क का निर्माण किया जाएगा. अब कैंप से आगे गांव तक बिजली पहुंचाने का काम किया जा रहा है. वहीं, रंगापारा में बिजली लग चुकी है. हमारी कोशिश हैं कि आगे भी इन गांवों में मूलभूत सुविधाओं को पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा.
साल 2006 में नक्सलियों ने तोड़े थे बिजली के खंबे
इस इलाके में किसी जमाने पहले बिजली हुआ करती थी. मीडिया खबरों के मुताबिक साल 2006 में जब सलवा जुडूम की शुरुआत हुई उसके बाद नक्सलियों ने इस इलाके में बिजली के सभी खंबों को तोड़ दिया था. लेकिन अब वहां कैंप खोले गए और अब बिजली भी पहुंचा दी गई. धीरे-धीरे ये इलाका विकास की ओर बढ़ रहा है.
Author: CG FIRST NEWS
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