मुकेश जैन / कांकेर : जिले के ग्राम पंचायत कुरूभाट में सामुदायिक शौचालय का निर्माण कार्य भ्रष्टाचार और लापरवाही का एक बड़ा उदाहरण बनकर सामने आया है। शासन द्वारा आवंटित 3.50 लाख रुपये की राशि खर्च होने के बावजूद पिछले 3 वर्षों से यह शौचालय अधूरा पड़ा है। निर्माण के शुरू होते ही इसमें बड़ी-बड़ी दरारें आने लगीं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि निर्माण कार्य में भारी अनियमितता और घटिया सामग्री का उपयोग किया गया है।
भ्रष्टाचार और लापरवाही की हद : कुरूभाट के सामुदायिक शौचालय का निर्माण कार्य शुरू होने के बाद से ही विवादों में रहा है। सरकारी नियमों और मानकों की अनदेखी करते हुए ठेकेदारों और संबंधित अधिकारियों ने निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया। निर्माण के शुरुआती चरण में ही दीवारों में बड़ी दरारें पड़ने लगीं, जिससे उसकी गुणवत्ता पर सवाल उठे। इतना ही नहीं, निर्माण अभी तक पूरा नहीं हो पाया है, लेकिन 3.50 लाख रुपये की पूरी राशि खर्च कर दी गई है।
ग्रामीणों का आरोप है कि इस निर्माण कार्य में भारी भ्रष्टाचार हुआ है और जिम्मेदार अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी निभाने में पूरी तरह असफलता दिखाई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि ठेकेदारों और अधिकारियों ने निर्माण कार्य की देखरेख नहीं की, जिससे निर्माण अधूरा पड़ा है और वह भी बेहद खराब स्थिति में है।
अधिकारियों की अनदेखी : शासन द्वारा इस सामुदायिक शौचालय के निर्माण के लिए 3.50 लाख रुपये की राशि आवंटित की गई थी, लेकिन यह पैसा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। जवाबदार अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ लिया और पूरी तरह से अनदेखी की। शासन की इस परियोजना को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए जिन अधिकारियों को नियुक्त किया गया था, वे लक्ष्मी (रिश्वत) के चढ़ावे के आगे नतमस्तक हो गए।
ग्रामवासियों का कहना है कि इस निर्माण कार्य की गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा गया, जिससे अभी तक यह शौचालय उपयोग के लायक नहीं है। ग्रामीणों की मांग है कि इस भ्रष्टाचार की गहन जांच होनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
ग्रामीणों की नाराजगी : गांव के लोग इस अधूरे शौचालय और भ्रष्टाचार के कारण बेहद नाराज हैं। उनका कहना है कि सरकार ने स्वच्छता अभियान के तहत इस शौचालय को बनवाने के लिए इतनी बड़ी राशि दी थी, लेकिन यह योजना केवल कागजों पर ही पूरी होती नजर आ रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि जिम्मेदार अधिकारी और ठेकेदार केवल पैसा बनाने में लगे हुए हैं और उन्हें गांव की स्वच्छता और लोगों की समस्याओं से कोई मतलब नहीं है।
स्वच्छ भारत मिशन पर प्रश्नचिन्ह : कुरूभाट का यह मामला न केवल भ्रष्टाचार का उदाहरण है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करता है कि क्या स्वच्छ भारत मिशन जैसी महत्वपूर्ण योजनाएं वास्तव में जमीन पर सफल हो पा रही हैं? इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता सुविधाओं को उपलब्ध कराना है, लेकिन जब ऐसे भ्रष्टाचार और लापरवाही सामने आते हैं, तो इस मिशन की विश्वसनीयता पर सवाल उठना लाजमी है।
प्रशासन की चुप्पी : इतनी गंभीर स्थिति के बावजूद स्थानीय प्रशासन और जिम्मेदार अधिकारियों की ओर से अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। ग्रामवासी इस मामले की शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। गांव के लोगों ने प्रशासन से अपील की है कि इस मामले की जांच कराई जाए और दोषियों को सजा दी जाए।
निष्कर्ष : कुरूभाट का सामुदायिक शौचालय भ्रष्टाचार और लापरवाही की जीती-जागती मिसाल बन गया है। शासन द्वारा दी गई राशि का दुरुपयोग हुआ है और इसका खामियाजा गांव के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। ग्रामीणों की नाराजगी और प्रशासन की उदासीनता ने इस मामले को और गंभीर बना दिया है। अगर जल्द ही इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई, तो यह मामला भ्रष्टाचार का एक और काला अध्याय बनकर रह जाएगा।
Author: CG FIRST NEWS
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