स्कूल भवन की जर्जर स्थिति पर सवाल
ग्रामवासियों के अनुसार, शाला भवन की दीवारों में बड़ी-बड़ी दरारें आ चुकी हैं और छत के कुछ हिस्से भी गिरने लगे हैं। यह भवन इतनी बुरी स्थिति में है कि बच्चों के लिए यहां पढ़ाई करना जान जोखिम में डालने जैसा हो गया है। स्कूल में 60 से अधिक बच्चे शिक्षा प्राप्त करने आते हैं, लेकिन खराब संरचना के कारण उनकी सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। आए दिन छत के हिस्से गिरने की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिससे बच्चों के भविष्य और सुरक्षा पर गहरा संकट मंडरा रहा है।
गबन का आरोप, निर्माण कार्य की स्थिति स्पष्ट नहीं
ग्रामीणों का आरोप है कि मरम्मत कार्य के लिए स्वीकृत राशि का कोई उपयोग नहीं किया गया है। कार्यस्थल पर न तो कोई निर्माण कार्य शुरू हुआ है और न ही कोई निर्माण सामग्री डाली गई है। ऐसे में ग्रामीणों ने राशि के गबन का आरोप लगाया है और इस मामले में भ्रष्टाचार की जांच की मांग की है। ग्रामीणों ने कहा कि मरम्मत कार्य के नाम पर राशि आहरण किया गया है, लेकिन अब तक कोई काम नहीं हुआ है, जिससे उन्हें गहरी नाराजगी है।
खंड शिक्षा अधिकारी और प्रधान अध्यापिका के बीच आरोप-प्रत्यारोप
इस मामले पर जब खंड शिक्षा अधिकारी केशव साहू से बात की गई, तो उन्होंने शाला के प्रधान अध्यापिका अनीता दीवान पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि शाला मरम्मत कार्य को लेकर प्रधान अध्यापिका ने यह जिम्मेदारी ली थी, लेकिन वह इस काम को पूरा नहीं कर पाईं। उनके अनुसार, दो वर्षों तक कार्य न होने के कारण योजना में देरी हुई है।
वहीं, प्रधान अध्यापिका अनीता दीवान ने खंड शिक्षा अधिकारी के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उन्होंने कभी मरम्मत कार्य की जिम्मेदारी नहीं ली थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कार्य शिक्षा विभाग का है और शाला प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं है। उनके अनुसार, शिक्षा विभाग को ही इस कार्य को कराना चाहिए।
जिला शिक्षा अधिकारी ने मामले की जांच का आश्वासन दिया
इस पूरे मामले पर जिला शिक्षा अधिकारी अशोक पटेल ने कहा कि यह मामला हाल ही में उनके संज्ञान में आया है। उन्होंने मामले की जल्द जांच कराने का आश्वासन दिया। यदि किसी भी प्रकार की अनियमितता या भ्रष्टाचार पाया जाता है, तो दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
बच्चों की सुरक्षा पर संकट
इस मामले ने बच्चों की सुरक्षा और उनके अध्ययन के वातावरण पर गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है। स्कूल की खस्ताहाल स्थिति और मरम्मत कार्य में हुई देरी ने यह सिद्ध कर दिया है कि शाला भवन की मरम्मत अब एक तत्काल आवश्यकता बन गई है। ग्रामीणों और बच्चों की यह मांग है कि मरम्मत कार्य शीघ्र शुरू किया जाए, ताकि बच्चों को सुरक्षित वातावरण में शिक्षा मिल सके और उनकी जान जोखिम में न पड़े।
अब यह देखना बाकी है कि इस मुद्दे पर शिक्षा विभाग और संबंधित अधिकारियों द्वारा जल्द क्या कदम उठाए जाते हैं और बच्चों के लिए सुरक्षित और बेहतर शैक्षिक माहौल सुनिश्चित किया जाता है।
Author: CG FIRST NEWS
CG FIRST NEWS