रिपोर्टर – रमेश टंडन । आमाबेड़ा। राज्य सरकार के निर्देशानुसार छत्तीसगढ़ में धान खरीदी का कार्य 14 नवंबर से आरंभ हो चुका है। शुक्रवार, 22 नवंबर 2024 को आमाबेड़ा तहसील के किसानों ने अपनी धान फसल विक्रय करने के लिए टोकन कटवाए और आमाबेड़ा धान खरीदी केंद्र पर समर्थन मूल्य के तहत अपनी फसल बेचने पहुंचे। इस दौरान किसानों के चेहरे पर खुशी और चिंता दोनों देखने को मिली।
खुशी का कारण:
खरीदी प्रक्रिया शुरू होने से किसानों में एक नई ऊर्जा देखी गई। उनकी मेहनत का फल मिलने की उम्मीद से उनके चेहरे खिले हुए नजर आए। वहीं, सरकारी समर्थन मूल्य और व्यवस्था ने किसानों को राहत दी है।
चिंता का कारण:
हालांकि, केंद्र तक पहुंचने में आई परेशानियों और तकनीकी दिक्कतों ने कई किसानों को निराश किया। दूर-दराज के गांवों से आठ से दस किलोमीटर की दूरी तय कर भूखे-प्यासे खरीदी केंद्र पहुंचने वाले किसानों के चेहरे पर थकावट और उदासी स्पष्ट नजर आई।
स्थानीय धान खरीदी केंद्र की मांग जारी
क्षेत्र के किसानों ने लंबे समय से ग्राम पंचायत नागरबेड़ा और आश्रित ग्राम सेन्दुरमेटा में एक नया धान खरीदी केंद्र खोलने की मांग की है। किसानों का कहना है कि इससे उन्हें धान विक्रय के लिए लंबी दूरी तय करने की समस्या से राहत मिलेगी। इस मांग को लेकर किसान स्थानीय विधायक, सांसद और कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते रहे हैं, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
ऑनलाइन टोकन सिस्टम बना किसानों के लिए सिरदर्द
सरकार द्वारा लॉन्च किए गए “टोकन तुहर हाथ” मोबाइल ऐप ने भी किसानों को निराश किया है। यह ऐप सुबह 9:30 बजे खुलता है, लेकिन किसानों के अनुसार, ऐप या तो समय पर काम नहीं करता, या फिर खरीदी की सीमा कुछ ही मिनटों में खत्म हो जाती है। इस कारण अधिकांश किसानों को टोकन नहीं मिल पाते, और वे समितियों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं।
तकनीकी समस्याएं:
– सर्वर डाउन होने की समस्या।
– सीमित खरीदी क्षमता के कारण सभी किसानों को टोकन नहीं मिलना।
– ग्रामीण क्षेत्रों में एंड्राइड मोबाइल और इंटरनेट की सीमित पहुंच।
च्वाइस सेंटरों पर किसानों की भीड़
जिन किसानों के पास एंड्राइड मोबाइल नहीं है या जिन्हें ऐप का उपयोग करना नहीं आता, वे च्वाइस सेंटरों पर सुबह से लाइन लगाकर टोकन कटवाने की कोशिश करते हैं। इन केंद्रों पर समय और पैसे दोनों की बर्बादी होती है।
समस्याओं के समाधान की मांग
किसानों ने सरकार से आग्रह किया है कि पहले की तरह सहकारी समितियों से टोकन जारी किए जाएं। इससे ग्रामीण किसानों को सुविधा होगी और उन्हें केंद्रों पर बार-बार चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। इसके अलावा, तकनीकी खामियों को दूर करने और खरीदी प्रक्रिया को सरल बनाने की मांग भी जोर पकड़ रही है।
धान खरीदी प्रक्रिया का पहला दिन
आमाबेड़ा धान खरीदी केंद्र पर पहले दिन करीब 10 किसानों का टोकन कटा और उनके धान की खरीदी की गई। हालांकि, इस प्रक्रिया में पूरा दिन लग गया, जिससे यह स्पष्ट है कि आगे के दिनों में खरीदी सुचारू रूप से करने के लिए व्यवस्था में सुधार जरूरी है।
निष्कर्ष:
धान खरीदी केंद्रों पर किसानों की खुशी उनके श्रम के प्रति सरकारी प्रयासों का परिणाम है, लेकिन व्यवस्था में तकनीकी खामियों और केंद्रों की कमी से उनका उत्साह प्रभावित हो रहा है। सरकार से अपेक्षा है कि वह किसानों की समस्याओं को प्राथमिकता से हल करते हुए, नई सुविधाएं प्रदान करे ताकि किसानों का समर्थन और विश्वास बना रहे।
Author: CG FIRST NEWS
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