ग्राम कन्हारपुरी में देव दशहरा का भव्य आयोजन: आदिवासी परंपराओं और विकास योजनाओं पर मंत्रियों का जोर

कांकेर : जिले के विकासखंड ग्राम कन्हारपुरी में आयोजित देव दशहरा का तीन दिवसीय आयोजन एक अद्वितीय आदिवासी परंपरा का हिस्सा है। यह कार्यक्रम स्वर्गीय रामप्रसाद पोटाई की स्मृति में आयोजित किया गया, जिसमें आदिवासी समाज के देवी-देवताओं की पारंपरिक पूजा, सांस्कृतिक कार्यक्रम और खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया।

इस कार्यक्रम में प्रदेश के आदिवासी विकास, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक विकास मंत्री श्री रामविचार नेताम और वन एवं जलवायु परिवर्तन, संसदीय कार्य मंत्री श्री केदार कश्यप ने प्रमुख अतिथि के रूप में भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता भी श्री कश्यप ने की। दोनों मंत्रियों ने अपने संबोधन में आदिवासी समाज के विकास के लिए राज्य और केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं का उल्लेख किया।

आदिवासी समाज के विकास के लिए सरकारी प्रयास
अपने संबोधन में मंत्री श्री नेताम ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार और राज्य में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली सरकार आदिवासियों के विकास के लिए लगातार प्रयासरत हैं। उन्होंने तेंदूपत्ता संग्राहक योजना, महतारी वंदना योजना जैसी योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि ये योजनाएं आदिवासी समाज की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। इसके साथ ही उन्होंने आदिवासी संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण की दिशा में देव दशहरा जैसे आयोजनों की महत्ता पर जोर दिया। उन्होंने इस आयोजन के लिए 10 लाख रुपए की सहायता राशि देने की घोषणा भी की।

वन मंत्री का आदिवासी संस्कृति पर जोर
वन मंत्री श्री केदार कश्यप ने अपने भाषण में कहा कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय स्वयं आदिवासी समाज से हैं, इसलिए वह समाज की समस्याओं को गहराई से समझते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य की सभी योजनाएं आम जनता के कल्याण के लिए हैं और आदिवासी समाज को इनका भरपूर लाभ लेना चाहिए। उन्होंने आदिवासी संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण की जिम्मेदारी पर जोर दिया, जो आदिवासी समाज के पुरखों ने कठिन संघर्ष के बाद जीवित रखी है।

परंपरागत पूजा और सांस्कृतिक धरोहर
कार्यक्रम के दौरान देव मंडप में 12 बिरादरी के देवी-देवताओं की पारंपरिक विधि से पूजा की गई। इनमें आंगा देव, बालकुंवर, वर्चेकुंवर, कुंवारी देवी, पाटकुंवर, इंदेडोकरी, फूलपाट, पाटबाबू, टिकरी भूमियार, पंचमाता, फरसकुंवर, मंडाकुंवर, कोटकुंवर आदि प्रमुख थे। इसके अलावा बस्तर के विभिन्न क्षेत्रों से आए लोक नर्तक दलों ने आकर्षक आदिवासी नृत्य प्रस्तुत किए, जिसने कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए।

खेल प्रतियोगिताएं और सांस्कृतिक प्रदर्शन
तीन दिवसीय कार्यक्रम में क्रीड़ा प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न आदिवासी समाजों के युवाओं ने भाग लिया। इन प्रतियोगिताओं का उद्देश्य आदिवासी युवाओं में खेल प्रतिभाओं को बढ़ावा देना और पारंपरिक खेलों को जीवित रखना था। इसके अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रमों में आदिवासी समाज की परंपरागत लोक कलाओं और संगीत का प्रदर्शन किया गया।

अन्य प्रमुख वक्ता
कांकेर विधायक श्री आशाराम नेताम और केशकाल विधायक श्री नीलकंठ टेकाम ने भी अपने भाषणों में आदिवासी समाज की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने जल, जंगल, जमीन के महत्व को रेखांकित करते हुए आदिवासियों को उनकी परंपराओं और रीति-रिवाजों से जुड़े रहने की अपील की।

कार्यक्रम में पूर्व विधायक सुमित्रा मारकोले, राज्य मत्स्य विकास बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष भरत मटियारा, जनपद पंचायत कांकेर के अध्यक्ष रामचरण कोर्राम सहित कई गणमान्य व्यक्ति और आदिवासी समाज के प्रमुख लोग उपस्थित थे।

इस प्रकार, तीन दिवसीय देव दशहरा का यह आयोजन आदिवासी समाज की समृद्ध परंपराओं, धार्मिक आस्थाओं, और खेलकूद की भावना को प्रदर्शित करता है, साथ ही यह समाज के विकास और संरक्षण के लिए सरकारी प्रयासों की झलक भी प्रस्तुत करता है।

CG FIRST NEWS
Author: CG FIRST NEWS

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