जगदलपुर /छत्तीसगढ़ के बस्तर विधानसभा सीट पर चुनावी समीकरण इस बार भाजपा के लिए काफी संघर्षपूर्ण हो सकता है क्योंकि भाजपा प्रत्याशी से बस्तर विधानसभा के दोनों विकासखंड के सक्रिय कार्यकर्ताओं में प्रत्याशी के प्रति नाराजगी सामने आ रही है कार्यकर्ताओं ने मीडिया से अपनी बात रखते हुए अपना नाम उल्लेख नहीं करने की शर्त पर कहा की इस बार भाजपा प्रत्याशी के द्वारा कार्यकर्ताओं की देखरेख एवं परस्पर संबंध बनाने में कमी महसूस किया जा रहा है जिसका गहरा प्रभाव इस सत्र के चुनाव में पढ़ने वाला है भाजपा के शीर्ष नेता का नेतृत्व बहुत ही अच्छा है जिसके मारपथ से पड़ोसी राज्य उड़ीसा के विधायकों ने भी बस्तर आकर भाजपा के पक्ष में अपना मजबूती के साथ प्रचार किया एवं भाजपा को फिर से मौका देने का बात भी सम्मेलनों में कहा और सत्ता परिवर्तन को लेकर भी बार-बार जिक्र किया गया किंतु सवाल यहां पर उठाता है कि जहां कार्यकर्ता प्रत्याशी से नाराज हो एवं दोनों के बीच दूरी बना रहे तो कांग्रेस की किला को ढहा पाना कितना कठिन काम हो सकता है ऐसे भी बस्तर विधायक की कार्यकाल से क्षेत्र की 75% जनता संतुष्ट नजर आती है तो देखने वाली बात यह होगी की नव प्रत्याशी का दबदबा कैसा रहेगा और कार्यकर्ताओं की नाराजगी कैसे दूर होगी यह भारतीय जनता पार्टी के लिए चिंता का विषय बना हुआ है ज्ञात हो कि पिछले चुनाव में तकरीबन पैंतिस हजार वोटो के पार हुए थे लेकिन भाजपा में वर्तमान स्थिति की सुधार बेहतर नहीं हुई तो नतीजा काफी चिंताजनक हो सकती है वहीं प्रत्याशी के संबंध में बताया जाता है की कार्यकर्ताओं का फोन भी रिसीव नहीं करते और ना ही बकावंड ब्लॉक के लोगों को संतुष्टि के लायक कोई रिस्पांस भी देते हैं वहीं भाजपा के मीडिया से संबंधित लोगों का भी कहना है की नव प्रत्याशी का स्थिति बेशक कुशल प्रतीत होता नजर नहीं आ रहा है जिसका प्रभाव कार्यकर्ता से लेकर मतदाता तक भी पढ़ सकता है और जमीन से जुड़कर कार्य करने वाले कार्यकर्ता का कदम पीछे खिसकने की आशंका बनते जा रही है एक ओर देखा जाए तो भाजपा प्रत्याशी को दिन-रात एक करने की हिदायत हाई कमान से मिल चुका है और समय भी बहुत अधिक मिला हुआ है अब बात नए प्रत्याशी के सक्रियता के ऊपर निर्भर करता है कि किस तरह से कार्यकर्ता एवं अन्य लोगों को लेकर चुनाव का महासंग्राम को चुनौती देना होगा ।