संवाददाता – अशोक जैन
कांकेर :- जिले के कोरर सेलेगांव अजय व संजय जैन की माता का स्वास्थ्य ख़राब होने से उन्हें बेहतर स्वास्थ्य हेतु मेडिकल कॉलेज सह जिला अस्पताल काँकेर में उपचार चल रहा था की अचानक स्वास्थ्य और ज्यादा बिगड़ने से उपचार के दौरान मृत्यु हो गई। मृत्यु उपरांत जैन परिवार ने तत्काल अपनी माँ का “नेत्रदान” करने का फैसला किया और जैन परिवार के जागरूक सदस्य अशोक जैन ने नेत्र सहायक अधिकारी अशोक यादव, कोरर से सम्पर्क किया । जिससे जिले की नेत्रदान टीम रात में ही दान की प्रक्रिया को शीघ्र पूर्ण करने हेतु सक्रीय हो गई और मृत्यु के छः घंटे के अंदर नेत्रदान की प्रक्रिया को गृह ग्राम सेलेगांव में संपन्न कर नेत्र को,,, नेत्र बैंक भेजने हेतु संरक्षित कर लिया गया।
नेत्र दान जैसा पुनीत कार्य सभी समाज के लिए प्रेरणादाई है ऐसे फैसले को जैन परिवार सेलेगांव के लगभग 30 सदस्यों ने 11 वर्ष पहले नेत्रदान संकल्प कर एक साथ लिया था और जब भी इस परिवार के किसी सदस्य का निधन होता है तो संकल्प को पूरा करने हेतु स्वास्थ्य विभाग काँकेर की नेत्रदान टीम से सम्पर्क कर नेत्र का दान करते हैं। इस तारतम्य में यह 2014 से अब तक जैन परिवार का दो नेत्र दान किया जा चुका है यह तीसरा नेत्रदान है ,जो सम्पूर्ण मानव समाज के लिए अनुकरणीय है।
नेत्रदान की प्रक्रिया पूर्ण करने पश्चात उपस्थित परिवार जन व ग्रामीणों के जागरूकता हेतु जिले के नेत्र सहायक अधिकारीयों के नेत्रदान टीम मनोज केशरी, अशोक यादव, दिलीप नेताम, ताकेश्वर साहू द्वारा नेत्रदान की जानकारी दे कर अन्य उपस्थित लोगों को प्रेरित किया गया। जिसमें टीम ने जानकारी देते हुए बताया कि नेत्रदान कोई भी कर है महिला या पुरुष इसके लिए पूर्व से नेत्रदान घोषणा पत्र भरने की बाध्यता नहीं है। नेत्रदान में व्यक्ति केवल अपनी मृत्यु पश्चात ही नेत्रदान कर सकता है। एक नेत्रदान से दो कॉर्नियल ब्लाइंडनेस व्यक्ति लाभान्वित होते हैं। कोई भी व्यक्ति चाहे वह किसी भी उम्र, जाति, लिंग, रक्त समूह और धर्म का हो, वह अपनी आँखें दान कर सकता है। नेत्रदान में नेत्र मृत्यु के छः घंटे के भीतर प्राप्त किया जाता है। नेत्रदान पश्चात चेहरे पर कोई निशान या विकृति नहीं होती है। दान किये गए आँख को खरीदा या बेचा नहीं जाता है। नेत्रदान व कॉर्निया प्रत्यारोपण की जानकारी गुप्त रखी जाती है। चश्मा पहनने वाले या मोतियाबिंद ऑपरेशन कराए हुए व्यक्ति भी नेत्रदान कर सकता है।
किसका नेत्र दान में नहीं लिया जाता?
यदि नेत्रदाता की मृत्यु गंभीर बीमारी जैसे एड्स, पीलिया, कर्करोग(कैंसर), रेबीज़, सेप्टीसीमिया, सिफलिस,टिटनेश, सर्प दंश से हुई हो या जलने, डूबने या फाँसी जैसे नेत्रदाता का नेत्र नेत्रादान हेतु अयोग्य समझे जाते हैं।
नेत्रदान हेतु इच्छुक व्यक्ति क्या करें- अपने चिकित्सक से मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त कर लें। मृत्यु पश्चात निकट के रिश्तेदार या वारिश अतिशीघ्र अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या नेत्र सहायक अधिकारी या चिकित्सक या जिला अस्पताल में संपर्क करें। मृत व्यक्ति के सिर पर तकिया लगा देवें और साफ कपड़े से दोनों नेत्रों के पलक को बंद कर गीला पट्टी लगा देवें। यदि पंखे चल रहे हों तो उसे बंद कर देवें।
नेत्र सहायक अधिकारी अशोक यादव ने बताया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, कोरर के अंतर्गत उनके द्वारा 2012 से अब तक इस दान के साथ 5 नेत्र दान करवाया जा चुका है। जिसमे सेलेगांव के बृजलाल जैन व भागबति जैन और कोरर से जंजीरा यादव और अभी हाल ही में 13 अगस्त को परदेशी राम यादव और अब 30 अक्टूबर को फुलबासन जैन के निधन पश्चात नेत्रदान किया गया है । जैन परिवार सेलेगांव ने अपने पूरे का नेत्र दान करने का संकल्प लिया है और पूरे समाज को नेत्र दान हेतु जागरूक करने का प्रयास किया है। वे कहते हैं कि जीते जी रक्त दान-मरणोपरांत नेत्रदान।
देश में करीब 15 लाख व्यक्ति कॉर्नियल ब्लाइंडनेस (आँख के पुतली की सफेदी) के कारण दृष्टिहीन हैं, उन्हें सिर्फ नेत्रदान द्वारा रोशनी प्रदान की जा सकती है, जिन्हें आप उन्हें मृत्यु पश्चात नेत्रदान कर बचा सकते हैं। हमारे प्रदेश में करीब 12 हजार लोग कॉर्नियल ब्लाइंडनेस के शिकार हैं यह मुख्यतः बच्चे एवं युवाओं में होता है। इस लिए सभी को नेत्रदान जैसे पुनीत कार्य में सहभागी बनना चाहिए।
नेत्रदान को सफल बनाने में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ अविनाश खरे, नेत्र सर्जन डॉ सरिता कुमेटी और नेत्र सहायक अधिकारीयों की नेत्र दान टीम मनोज केशरी, अशोक यादव, दिलीप नेताम और ताकेश्वर साहू एवं सुखनंदन तारम आर एच ओ और विशेष रूप से अशोक जैन सेलेगांव के साथ साथ जैन परिवार का विशेष योगदान रहा।
Author: CG FIRST NEWS
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