कांकेर :- जिले के चारामा नहर के वन विभाग परिसर में -तेन्दुपत्ता शाखकर्तन के पूर्व शाखकर्तन कार्यशाला का आयोजन 29 फरवरी को वन परिक्षेत्र कार्यालय चारामा में सम्पन्न हुआ। वन परिक्षेत्र चारामा अर्न्तगत आने वाले 04 फड़ो के नोडल अधिकारी, प्रबंधक, संचालक समिति के सदस्य, फड मुंशी सहित तेन्दुपत्ता तोडने वाले हितग्राही और वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी शामिल हुए। कार्यशाला में मुख्य अतिथि नितिन पोटाई जिला युनियन अध्यक्ष जिला वनोपज कांकेर, अध्यक्षता रहमान खान वन परिक्षेत्र अधिकारी चारामा, विशेष अतिथि कमल सिंह नेताम अध्यक्ष जेपरा समिति, सदाराम नाग अध्यक्ष पलेवा समिति, दुजराम महावीर अध्यक्ष पुरी समिति, रूपराम साहु उपाध्यक्ष चारामा समिति उपस्थित रहे। वन परिक्षेत्र अधिकारी रहमान खान के द्वारा उपस्थित सभी को आगामी तेदुपत्ता तोडाई के पूर्व शाखकर्तन के सम्बद्ध में जानकारी दी। तेदुपत्ता के शाखो को जमीन से 1 से डेढ इंच नीचे तक सही तरीके से काटने और 10 से 45 दिन बाद पत्ता तोडने, सहित शासन द्वारा तेन्दु पत्ता तोडने पर मिलने वाले प्रति मानक बोरा की राशि 5500 रूपये, पढने वाले बच्चो के निए छात्रवृत्ति, बीमा एवं अन्य योजनाओं की जानकारी दी। उन्होने बताया कि इस वर्ष चारामा परिक्षेत्र को कुल 6000 मानक बोरा का लक्ष्य रखा गया है। यही कार्यकम के मुख्य अतिथि नितिन पोटाई ने अपने सम्बोधन में कहीं कि तेन्दुपत्ता जिसे हरा सोना कहीं जाता है।

और बस्तर का तेन्दुपत्ता सबसे उच्च क्वालिटी होता है। जिसकी पुरे भारत में डिमांड होती है। जिसके लिए उसके शाखकर्तन सबसे महत्वपुर्ण कार्य है। जितना अच्छा शाख कर्तन होगा, उतना ही अच्छा क्वालिटी का पत्ता आयेगा, और उत्तनी ही अधिक ग्रामीणो को आर्थिक लाभ होगा। बस्तर जैसे ग्रामीण और आदिवासी इलाके में मनरेगा वनोपज के साथ साथ तेन्दुपत्ता ग्रामीणो के लिए अतिरिक्त आय का बहुत अच्छा साधन है। शासन की ओर से लगातार ग्रामीणो को इसके तोडाई के कार्य को बढ़ावा देने हेतु प्रोत्साहित करते हुए मानक बोरा की दरो को बढ़ाया जा रहा है। तेन्दुपत्ता तोडाई में संग्राहको के साथ साथ जमीनी कर्मचारियो चाहे यह फड से जुड़े हो या विभाग से सभी की अहम भुमिका होती है। उन्होंने यह भी कहीं कि संचालक मंडल और समिति सभी की साल में 04 बैठक होनी चाहिए और 01 आम सभा जिसमे सभी संग्राइक भी उपस्थित हो, बेठक होनी चाहिए, ताकि तेन्दूपत्ता के कार्य में होने वाले लान हानि, समस्या पर लगातार चर्चा होकर उनका समाधान किया जा सके। और समिति लगातार सग्राहको को तेन्दुपत्ता तोड़ने के लाभ से अवगत कराये और इस कार्य के लिए प्रोत्साहित करे। वही फड मुशियों से शासन की ओर से शाख कर्तन के लिए मिलने वाली कम राशि जो कि प्रति मानक बोरा महज 55 रूपये है। को बढ़ाने की मांग की पांड मुशियो ने बताया कि एक मानक बोरा के लिए शाखकर्तन करने मे कम से कम 2 से 03 दिन का समय लगता है, और सिर्फ 55 रूपये में कोई भी ग्रामीण 02 से 03 दिन कैसे काम करेगा। कम राशि के चलते शाख कर्तन के लिए ग्रामीण तैयार नही हो पाते है। जिसके चलते तेन्दुपत्ता के उत्पादन भी प्रभावित होता है। जिस पर मुख्य अतिथि ने इस समस्या को उच्च स्तर पर रखने की बात कही। कार्यक्रम का संचालन लेखापाल तरुण देवदास ने किया। कार्यशाला को सफा बनाने में सभी वन कर्मचारियों का सहयोग रहा।

Author: CG FIRST NEWS
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