खाद्य विभाग और नापतौल विभाग की निरंकुशता के चलते लोगों की जान खतरे में!

सावधान! पैकेज्ड फूड आइटम खरीदने से पहले जान लें ये नियम, नहीं तो हो सकता है बड़ा नुकसान पैकेज्ड फूड आइटम्स की बिक्री देश के साथ बालोद जिले में भी बहुत बढ़ गई हैं. हर किसी की रोजाना जिंदगी से ये जुड़ चुके हैं. लेकिन इसको लेकर जो मानक तय किए गए हैं उनका पालन नहीं हो रहा है. ऐसे में ये सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है.
आजकल पैकेज्ड फूड आइटम  का इस्तेमाल बढ़ चुका है. खाद्य पदार्थों की पैकेजिंग को लेकर सरकार ने सख्त नियम भी बनाए हैं. लेकिन हमारे इस तरह के अमानक खाद्य पदार्थ धड़ल्ले से ग्रामीण और बालोद के शहरी इलाकों में इन नियमों के उलट लोकल पैकेजिंग के साथ ये खाद्य पदार्थ हर चौक-चौराहे की दुकान पर बेचे जा रहे हैं. रोजमर्रा की जिंदगी में उपयोग किए जाने वाले नमकीन के पैकेट, ब्रेड, केक और मक्खन रोटी के साथ दर्जनों बेकरी आइटम भी बिना सही पैकेजिंग के लोगों तक पहुंच रहे हैं. जिले के खाद्य विभाग और नापतौल विभागों की निष्क्रियता के चलते  इन मिलावट खोरो की चांदी है  इन पर कड़ी कार्रवाई नहीं करने के कारण यह लापरवाही हो रही है. जिसमें दोनों ही विभाग असफल नजर आ रहे हैं!

बिना किसी डिटेल्स के बिक रहे बेकरी आइटम
जिले में बिक रहे बेकरी आइटम्स पर ना तो बनाने वाली कंपनी का नाम है और ना ही इसे बनाने और इसकी एक्सपायरी की तारीख लिखी है. इस कारण कई बार इसे हफ्तों बाद भी ग्राहकों को बेच दिया जाता है. एक्सपायरी के बाद भी इन खाद्य पदार्थों को बस स्टैंड और भीड़भाड़ की जगह पर खपा दिया जाता है. जिले के खाद्य विभाग द्वारा इस ओर कार्रवाई न करने के कारण व्यवसायियों के द्वारा बड़े स्तर पर इसकी मार्केटिंग की जा रही है.और धड़ल्ले से इनके निर्माता शासन को चुना लगाने में मस्त है  क्युकी जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी अपनी अपनी व्यवस्था में मस्त है!

गलत पैकेजिंग से स्वास्थ्य पर असर
शहरी क्षेत्र के साथ-साथ गांव के बाजारों में बिकने वाले ब्रेड, मक्खन रोटी, स्लाइस केक, मफिन, बेकरी बिस्किट, मसाले और यहां तक कि पानी के पाउच भी पतले प्लास्टिक में पैक करके लोगों तक पहुंचा दिए जाते हैं. पतले प्लास्टिक से पैकेजिंग में लागत कम आती है इसलिए बड़े स्तर पर इसका उपयोग हो रहा है. इनके ऊपर शाकाहारी या मांसाहारी का जिक्र भी नहीं होता है.

पैकेज्ड फूड आइटम्स के लिए ये हैं नियम
पैकेट की खाने-पीने वाली चीजों पर एफएसएसएआई लिखा होता है. एफएसएसएआई का मतलब है कि जो भी भोजन आप खाने जा रहे हैं वह भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक संस्थान के तय किए गए नियमों के तहत बनाया गया है. ऐसे खाद्य पदार्थ आमतौर पर नुकसानदायक नहीं होते हैं. खाद्य उत्पादों की लेबलिंग के लिए एफएसएसएआई ने खाद्य पदार्थों पर उसका नाम, मात्रा, पोषण संबंधी विवरण, उपयोग सामग्री की सूची, शाकाहारी या मांसाहारी से संबंधित घोषणा, जैसी चीजें तय की हैं.इसके साथ उपयोग के दिशा-निर्देश भी लिखना जरूरी होता है. लेकिन लोकल पैकेज्ड फूड आइटम के पैकटों पर इन चीजों को नहीं लिखा जा रहा है. धारा 39 के नियमों के उल्लंघन के मामले में यदि व्यक्ति अधिनियम और पैकेज्ड कमोडिटी नियमों की आवश्यकता के बिना वस्तुओं को बेचता है या वितरित करता है, तो उसे 5000 रुपए से अधिक के जुर्माने से दंडित किया जा सकता है. वहीं दोबारा ऐसा करने पर 5 साल तक की जेल भी हो सकती है.

किन चीजों पर होगा लागू?
केंद्र सरकार ने लीगल मेट्रोलॉजी, पैकेट कमोडिटी रूल्स (Packet Commodity Rules) में बदलाव कर दिया गया है. इसके अंदर दूध, चाय, बिस्किट, खाद्य तेल, आटा, बोतलबंद पानी और पेय, बेबी फूड, दाल, अनाज, सीमेंट बैग, ब्रेड एवं डिटर्जेंट जैसे 19 आइटम आएंगे. साथ ही आइटम पर मैन्युफैक्चरिंग डेट लिखना अब जरूरी होगा.

क्या होगा बदलाव?
इन वस्तुओं के पैकेट पर आप जो मुख्य परिवर्तन देखेंगे, उसमें गोल आकृति में एमआरपी शामिल होंगे. इसका मतलब है कि इन वस्तुओं की कीमत 110.5 रुपये नहीं हो सकती है, यह 110 रुपये या 111 रुपये होनी चाहिए, जिसमें कोई बीच का आंकड़ा नहीं होना चाहिए.

इसके अलावा, अगर प्रोडक्ट का वजन/मात्रा मानक वजन से कम है, तो निर्माता को प्रति ग्राम/एमएल कीमत को भी लिखना होगा. इससे उपभोक्ताओं को माल की सही कीमत जानने में मदद मिलेगी.

Philip chako
Author: Philip chako

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