संवाददाता – फिलिप चाको
बालोद :- विधानसभा चुनावों के दौर शुरू होते ही लोक लुभावन वादों का सिलसिला जारी हो चुका है ,उसी क्रम में कांग्रेस के घोषणा पत्र के आते ही भाजपा प्रत्याशियों की बेचैनी साफ देखी जा सकती है कांग्रेस के कर्ज माफी वाले वादे ने भाजपा खेमे में खलबली मचा रखी है वही दूसरी ओर भाजपा प्रत्याशियों की विजयश्री दौड़ पर अल्प विराम सा लगा दिया है जिस से स्वयं भाजपा प्रत्याशियों में निराशा देखी जा रही है लगभग कुछ इसी तरह की स्तिथि संजारी बालोद के सीट पर देखी जा सकती है जहा पहले ही प्रत्याशी चयन को लेकर भाजपा संगठन के कई हिस्सों में बटने की बात सामने आ रही थी मुद्दे के शांत होने से पहले ही कोंग्रेस की घोषणा पत्र ने भाजपा की नीद उड़ा दी है, भाजपा प्रत्याशी को लेकर सोसल मीडिया में भी काफी चर्चाए गर्म है मजबूरन भाजपा प्रत्याशी को वकील और कानून का सहारा लेकर सफाई देना पडा, वही निर्दलीय प्रत्याशी के आने से गदगद भाजपा ये मानती है की पूरा एक समाज विशेष कांग्रेसी है और इस प्रत्यासी से सिर्फ कांग्रेस को ही नुकसान है तो फिर अपने पूर्व विधायक की जीत का सेहरा किस पर बांधेगी कही न कही भाजपा प्रत्याशी अब समझ चुके है की उनके लिए बालोद पर एक तरफा जीत हासिल कर पाना आसान नहीं । कुछ इसी तरह की स्थिति कांग्रेस के प्रत्याशी की भी नजर आ रही हैं जो भूपेश के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है पंच वर्षीय कार्यकाल बीत जाने पर भी दूसरे के चेहरे पर चुनाव लड़ना एक बड़ा प्रश्न खड़ा करता है ख़ैर पब्लिक है सब जानती हैं,

कांग्रेस में भी प्रत्याशी को लेकर विवादों और रूठने मनाने का सिलसिला जारी है जिसका जीता जागता नमूना कांग्रेस की जिला पंचायत सदस्य के द्वारा पार्टी हाई कमान के फैसले को नकारते हुए कांग्रेस से बगावत की बिगुल फूंकते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप मे मैदान मे कूद पडी जिसने कांग्रेस खेमे के दर्द को और बढ़ा दिया वही बात करें भाजपा कांग्रेस और सामाजिक और क्षेत्रीय पार्टियों के मुख्यमंत्री चेहरे की तो कांग्रेस के पास मुख्यमंत्री चेहरा है किन्तु भाजपा के पास सिर्फ अब मंथन शिविर ही नज़र आ रहा हैं बाकी पार्टियां अपनी-अपनी सीट बचा ले इस दौड़ में दौड़ रही है फिलहाल दोनो राष्ट्रीय पार्टियां उस मदमस्त हाथी की चाल चल रहे हैं जिसे सिर्फ सामने अपना भोजन नज़र आ रहा है, अगल बगल दिखने वाले क्षेत्रीय. पार्टियां उन्हें चींटी समान नजर आ रही है जिसे रौंदकर आगे बढ़ने की सोच इन दोनों पार्टी के प्रत्याशियों में नजर आ रही है किंतु इस बार ये हो पाना सम्भव नहीं लगता मन मे विधायकी और मंत्रिमंडल का सपना संजोए प्रत्याशियों कि विशाल जीत के आकड़े पर भी इन सामाजिक और क्षेत्रीय पार्टियों के आ जाने से नसबंदी हो सकती है राजनीतिज्ञ चाणक्यो की माने तो इस बार क्षेत्रीय पार्टियों और सामाजिक पार्टियां बहुमत के सपने को चकनाचूर कर सकते हैं,अब आगे देखना बाकि है कि राजनीति का ऊंट किस करवट बैठता है और बालोद में किसके सिर पर विजय श्री का ताज रखता है इन सबसे परे हम अपने पाठकों से चाहते हैं कि अपने मताधिकार का उपयोग करें अधिक से अधिक संख्या में वोट दें एक मजबूत प्रजातंत्र खड़ा करे.

Author: CG FIRST NEWS
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