बालोद जिले मे बिना नंबर प्लेट बेधड़क दौड़ते यमदूतो पर आखिर कब लगेगी लगाम यातायात विभाग और जिला परिवहन विभाग इन यमदूतो के मालिकों तक पहुंच पाने में असमर्थ है या फिर जान बूझकर असमर्थता जतायी जा रही हैं या जिले के जनसंख्या नियंत्रण की जिम्मेदारी का ठेका भी इन्हें ही मिल गया है यातायात विभाग और परिवहन विभाग के सामने बेधड़क बिना किसी नंबर प्लेट(पहचान)के सड़कों पर फर्राटे भरते बड़े छोटे वाहनों को आप अपनी आँखों से देख सकते है,इन्हें देख कर जहा आम नागरिकों को ये पहचान पाना मुश्किल होता है कि ये वाहन किस जिले किस राज्य का है और इसका मालिक कौन है किन्तु जिला यातायात और परिवहन विभाग को देख कर लगता है वे मानो इन बिना पहचान के दौड़ने वाले वाहनों को और उनके मालिकों को पहचानने में विशेष योग्यता रखते हैं और इन्हें जिले की सडकों पर बेधड़क फर्राटे भरने की छूट है बात तब बिगड़ती है जब ये बे लगाम यमदूत कोई बड़ी घटना को अंजाम दे कर नौ दो ग्यारह हो जाते हैं तब शुरुआत होती है अज्ञात वाहन के तलाश की,और और कुछ दिनों की जांच पड़ताल के बाद वो फाइल खुद अज्ञात आवास में पंहुच जाते हैं, जिले मे लगातार हो रही सड़कदुर्घटनाएं इस बात का प्रमाण है कि जिला प्रशासन के ये दोनों विभाग सिर्फ खानापूर्ति मात्र करने में लगे हैं बालोद शहर में जहा नेशनल हाईवे 930 के निर्माण के बाद वाहनों की गति में तेजी देखी जा सकती वहीं सडकों पर बेतरतीब ढंग से खड़े ट्रकों ने मानो शहर के अंदर की कानून व्यवस्था यातायात व्यवस्था को मज़ाक बना रखा है इन बेतरतीब खड़े वाहनों ने कई लोगों की जीवन लीला समाप्त करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी है कितने लोगों ने इन बेतरतीब खड़े यमदूतो की वजह से अपनी जान गंवाई है फिर भी विभाग के तरफ से कोई उचित कार्रवाई या कदम ना लेना लोगों में असंतोष पैदा करता है!
कैसे होगी इनकी पहचान
शहर के मुख्य मार्ग और व्यस्त मार्गों और प्रमुख चौराहों पर नहीं है त्रिनेत्र यानी cctv की व्यवस्था विगत दिनों बालोद के एक पेट्रोल पंप के पास चुनाव ड्यूटी कर वापस लौट रहे शिक्षक को इसी तरह के एक यमदूत ने अपनी चपेट में ले लिया किन्तु cctv ना होने से जांच में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है!
गति निर्धारण सूचना बोर्ड का ना होना
यातायात और पीडब्ल्यूडी विभाग के द्वारा पूरे मार्ग को चिन्हित किया जा कर गति निर्धारण सूचना बोर्ड लगाना चाहिए था पर उदासीनता के चलते ये भी अधर में!
पूरे जिले में इंटरसेपेटर का ना होना
ये भी एक कारण है परिवहन विभाग की उदासीनता का जिला निर्माण हुए बालोद को 12 वर्ष बीत चुके हैं किन्तु जिले.में ना तो इंटरसेपेटर है और ना ही इंटरसेप्टर युक्त वाहन है जिससे इन बेलगाम वाहनों पर लगाम कसा जा सके! इंटरसेपेटर की मदद से वाहनों की तेज गति को रिकार्ड किया जा सकता है उसकी वीडियो फोटो भी निकाली जा सकती है जिससे तेज गति के वाहनों का चालान हो सके किन्तु इस में भी एक समस्या जस की तस है कि बिना नंबर प्लेट के दौड़ते इन यमदूतो की पहचान कैसे हो पाएगी? और इस तरह के दौड़ते वाहनों को देख कर लगता है कि बालोद यातायात विभाग और जिला परिवहन विभाग के पास इन्हें पहचानने की कोई गोपनीय तरकीब है , बहर हाल अब देखना होगा कि दोनों विभाग अपने कुंभकर्णी नींद से जागते है या फिर यमदूतो की मनमानी बदस्तूर जारी रहेगी!