शिक्षा में समर्पण जरूरी -रुबीना अली

रिपोर्ट – खिलेश साहू

धमतरी से 20 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम फुटहामुडा के प्राइमरी स्कूल की शिक्षिका रुबीना अली ने अपनी पढ़ाई की समर्पण पूर्ण कार्यशैली से सभी को प्रभावित किया है स्कूल में अधिकांश कमार जनजाति के बच्चे अधिक हैं इस जनजाति को भारत सरकार द्वारा विशेष पिछड़ी जनजाति का दर्जा प्राप्त है बच्चों की बोलचाल अलग होने के कारण इन बच्चों की पढ़ाई में विशेष ध्यान देना होता है इस कड़ी में शिक्षिका द्वारा बच्चों को हर दिन अलग-अलग गतिविधियों एवं खेलकूद के माध्यम से पढ़ाई लिखाई कराई जाती है जिससे बच्चों में भी पढ़ाई के प्रति दिल से रुचि देखने को मिलती है। इस कड़ी में रुबीना अली ने अपने अनुभव साझा किए उन्होंने कहा टीचर को बच्चों से बेहद संजीदगी से बात करनी चाहिए। इससे बच्चे अनुशासित रहते हैं और उनमें आज्ञाकारिता बनी रहती है। बच्चे को मारने या बुरी तरह डांटने से बचना चाहिए। मार या तेज डांट से उसकी मन मानसिकता पर बुरा असर पड़ता है। टीचर को अपने गुस्से पर कंट्रोल रखना आना चाहिए। बच्चों की गलतियों की ओर ध्यान खींचने जितना ही अहम है उसकी अच्छाइयों की ओर लगातार ध्यान दिलाना। इससे बच्चे भटकेंगे नहीं। जहां कहीं भटकाव दिखे, उसे वहीं समझाना और बच्चों को सही रास्ते पर लाने के लिए टीचर को समझदारी से वापसी के उन रास्तों को तलाशना चाहिए जिससे बच्चे फिर से राह पर आ सकें।खेल खेल में पढ़ाई से बच्चों का मानसिक विकास होता है।

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