गांजे की खेती कैसे होती है! किससे लेनी होती है अनुमति, जानिए इससे जुड़े सभी नियम

(सांकेतिक तस्वीर)

प्रशासन से अनुमति के बाद भांग की खेती किसान कर सकते हैं. मगर इसकी खेती में सबसे बड़ी समस्या तय मानक की है. उस मानक के पूरा होने के बाद ही भांग की खेती की अनुमति मिलती है.

महाराष्ट्र के सोलापुर के एक किसान ने जिला प्रशासन से अपने खेत में गांजे की खेती करने की अनुमति मांगी है. भारत में गांजा रखना और खेती करना दोनों प्रतिबंधित हैं. मगर कुछ राज्यों में विशेष छूट के साथ इसकी खेती होती है. सबसे पहले ये समझ लीजिए कि खेती गांजा की नहीं बल्कि भांग की खेती होती है. भांग और गांजा एक ही प्रजाति कि पौधे से बनाए जाते हैं. ये प्रजाति नर और मादा के रूप में विभाजित की जाती है. इसमें नर प्रजाति से भांग बनती है और मादा प्रजाति से गांजा बनता है और दोनों जिस पौधे से बनते हैं उसे कैनाबिस ( Cannbis) कहते हैं.

प्रशासन से अनुमति के बाद भांग की खेती किसान कर सकते हैं. मगर इसकी खेती में सबसे बड़ी समस्या तय मानक की है. उस मानक के पूरा होने के बाद ही भांग की खेती की अनुमति मिलती है.

क्या है अधिनियम

भारत में भांग की खेती करना प्रतिबंधित है. 1985 में भारत सरकार ने नार्कोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंसेज (NDPS) अधिनियम के तहत भांग की खेती करना प्रतिबंधित कर दिया था.

मगर इसी NDPS अधिनियम राज्य सरकारों को बागवानी और औद्योगिक उद्देश्य के लिए भांग की खेती की अनुमति प्रदान करने का अधिकार देता है.

एनडीपीएस ऐक्ट के मुताबिक ‘केंद्र सरकार कम टीएचसी मात्रा वाली भांग की किस्मों पर अनुसंधान और परीक्षण को प्रोत्साहित कर सकती है.

मगर केंद्र एक सतर्कता बरतेगा और बागवानी या औद्योगिक उद्देश्य के लिए ही भांग की खेती के सबूत आधारित अनमुति देगा और इसके अनुसंधान के नतीजों के आधार पर फैसला लेगा.

उत्तराखंड में होती है खेती

उत्तराखंड में भांग की खेती वैध है. साल 2018 में राज्य सरकार ने किसानों को भांग की खेती करने की अनुमति दे दी थी. भांग की खेती के लिए लेने वाली अनमुति की प्रक्रिया को हम उत्तराखंड द्वारा तय नियम के अनुसार समझते हैं.

उत्तराखंड में नियंत्रित और विनियमित तरीके से भांग की खेती की जाती है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश में भी इसी तरह की नीति के अनुसार भांग की खेती की जाती है.

भांग और गांजा दोनों उत्पादों से तैयार किए गए किसी भी मिश्रण अथवा पेय पदार्थ भारत में एनडीपीएस अधिनियम के तहत प्रतिबंधित हैं.

एनडीपीएस अधिनियम में भांग के पौधे के फूलों, फलों और राल से बनने वाले हशीश, गांजा और चरस जैसे नशों पर भी प्रतिबंध है.

कैसे करना होता है खेती के लिए आवेदन

उत्तराखंड में शासन के आदेश के अनुसार, स्वंय की जमीन थवा पट्टाधारक को ही भांग के पौधे की खेती के लिए अनुमति प्रदान की जाती है.

जिस व्यक्ति के नाम जमीन होगी, वह किसी वाणिज्यिक व औद्योगिक इकाई के साथ साझेदारी में ही भांग की खेती के लिए आवेदन कर सकता है.

भांग की खेती करने के लिए किसी भी व्यक्ति को खेत विवरण, क्षेत्रफल व सामग्री भंडारण करने के परिसर की जानकारी के अलावा चरित्र प्रमाण पत्र के साथ डीएम के सामने आवेदन करना होता है.

लेना होता है लाइसेंस

लाइसेंस के लिए प्रति हेक्टेयर एक हजार रुपये का शुल्क देना होता है. एक जिले से दूसरे जिले में बीज लेने जाने के लिए भी डीएम की अनुमति की जरूरत पड़ती है. डीएम फसल की जांच भी कर सकता है. यदि खेती के दौरान तय मानकों का उल्लंघन होगा तो तय क्षेत्रफल से अधिक की फसल को नष्ट कर दिया जाएगा.

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Author: CG FIRST NEWS

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